Indore News – युवा किसान को सदभावना सेल्यूट – लाखों के नौकरी छोड़ गांव लौटा आईआईटी ग्रैजुएट

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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1 एकड़ का पोली हाउस से 18 लाख तक की कमाई

 

 गांव के पास आईआईटी खुलने की खबर से मन में जागा था आईआईटी का सपना
– गरीब परिवार के पास सिर्फ 4 बीघा जमीन की थी पूंजी, अब सालाना 16-18 लाख का टर्नओवर
– दिल्ली जयपुर की मंडियों में सालाना बेच रहे 200 टन खीरा, शिमला मिर्च
विशेष संवाददाता ,इंदौर
युवा दिवस विशेष : 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस और मध्यप्रदेश सरकार ने रोजगार दिवस के रूप में मनाया इस मोके पर सदभावना पाती न्यूज़ की रिपोर्ट देखिये आमतौर पर आईआईटी से बाद युवा मन में मल्टी नेशनल कंपनियों में जॉब या विदेश जाने का सपना पाले होता है। लेकिन इंदौर में सिमरोल के पास निवासी, गुवाहाटी आईआईटी से इलेक्ट्रॉनिक टेलीकम्युनिकेशन में डिग्री प्राप्त शुभम चौहान ने कुछ और ही राह चुनी। 2017 में  6 महीने दुनिया की बड़ी आईटी कंपनियों में से एक एक्सचेंजर में 9 लाख के पैकेज पर काम किया। पढ़ाई का कर्ज चुकाया और फिर नौकरी छोड़ खेती के इरादे से अपने गांव की राह पकड़ी। 4 बीघा जमीन की कुल जमा पूंजी पर लोन लेकर एक पोली हाउस खोला। महज 2 साल बाद वह सालाना 16 से 18 लाख की शिमला मिर्च और खीरा पैदा कर रहे हैं। गुणवत्ता इतनी अच्छी कि जयपुर दिल्ली बड़ौदा अहमदाबाद की मंडियों से एडवांस बुकिंग हो रही है।
महज 4000 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस में शुभम सालाना 150 टन तक खीरा पैदा कर लेते हैं। जमीन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए रोटेशन में खीरे के अलावा शिमला मिर्च भी लगाते हैं। खीरा जहां 10 से 60 रुपए किलो तक बिक जाता है वही दिल्ली जयपुर की मंडियों में रंगीन शिमला मिर्च का 260 रुपए किलो तक का भाव मिला है। वे बताते हैं पिछले महीने 15 दिसंबर से शुरू हुए उत्पादन के बाद लगभग 1 महीने से भी कम समय में वह सात लाख की शिमला मिर्च दिल्ली जयपुर बड़ौदा अहमदाबाद की मंडियों में भेज चुके हैं। क्रॉप साइकिल पूरा होने तक यह 12 लाख पार करने की उम्मीद है। शहर से गांव लौटने के सवाल पर कहते आईटी की नौकरी मुझे भाई नहीं। एक जिद थी कि गांव में ही कुछ करना है। पॉलीहाउस सपने में था। मुझे पता था 4 बीघा खेत में पारंपरिक खेती से तीन भाई-बहनों का परिवार नहीं पल सकता। नौकरी से हुई बचत से उन्होंने 3 महीने पॉलीहाउस की ट्रेनिंग ली। पिता ने ड्राइवरी करने के दौरान उज्जैन के पास एक ढाबा लिया था ,उसे गिरवी रख 49 लाख का लोन लिया। 1 एकड़ का पॉली हाउस की कमाई से संतुष्ट शुभम कंसल्टेंसी भी दे रहे हैं। अगली प्लानिंग एंड यूजर तक सीधे पहुंचने की है।आईआईटी की घोषणा ने जगाए सपने-
सन 2008 में शुभम के गांव जगजीवन ग्राम के पास इंदौर आईआईटी खोलने की घोषणा हुई। गांव के लोगों को बस इतना पता था यह देश का कोई बहुत बड़ा कालेज होता है। जिसमें सब नहीं पढ़ सकते। उसी समय 7वीं में पढ़ रहे शुभम के मन में ड्राइवर पिता ने सपना जगाया कि तुम्हें यही पढ़ना है। और वही सपना भी जवान हुआ नतीजा 2013 में आईआईटी गुवाहाटी के लिए चयनित हुआ। सिर्फ 4 बीघे जमीन की खेती वाले परिवार के लिए आगे की राह भी आसान नहीं थी। कर्ज लिया, जमीन गिरवी रखी, कुछ सरकार से मदद मिली। नतीजा 2017 में डिग्री मिली और साथ में 9 लाख के पैकेज पर एक बड़ी मल्टीनेशनल आईटी कंपनी एक्सचेंजर में नौकरी भी।कोरोना मे आपदा को अवसर बनाया-
कोविड मे मंडिया बंद होने से कारोबार बंद हुआ। लोन की किस्त ड्यू हो गई।क्योंकि एग्रीकल्चर लोन पर, बैंक ने मोरटोरियम का लाभ देने से भी मना कर दिया।एक एकड़ के पॉलीहाउस से कर्ज उतारना आसान नहीं था। नए पॉलीहाउस में 40 लाख का खर्चा था। हिम्मत नहीं हारी। लॉकडाउन खुला तो पुराना सामान खरीद कर बची हुई जमीन पर खुद ही एक देसी पोली हाउस जैसा स्ट्रक्चर तैयार कर लिया है। उसमें खीरे की फसल अगले कुछ दिनों में तैयार हो जाएगी। उम्मीद है कि 15 लाख से ज्यादा का खीरा बेच लेंगे।  फिर भी उन्हें भरोसा है कि 2 साल में कर्ज मुक्त हो जाऊंगा।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।