Indore Top News – लोगों के मन भाया स्वच्छ-स्मार्ट इंदौर

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sadbhawnapaati
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राऊ, सुपर कॉरिडोर, बायपास के आसपास तेज़ी से बढ़ रही घर लेने की मांग

Indore News in Hindi। इंदौर की स्वच्छता और स्मार्ट विकास लोगों को रहने के लिए भाने लगा है। कोरोना के बाद शहर में सबसे ज्यादा ग्रोथ प्रॉपर्टी बाजार को मिली। सरकार ने बीते वित्तिय वर्ष में 35 फीसदी ज्यादा राजस्व कमाया।

बाजार व सरकार का अनुमान रहा, यह तो कोरोना का बैक लॉग है। लेकिन अप्रैल से अगस्त तक जिस तरह से रीयल इस्टेट बाजार में सौदे हो रहे हैं, रजिस्ट्रार का खजाना भर रहा है।

सरकार व बाजार दोनों के अनुमान को झुठला रहा है। जिस तरह से हर माह राजस्व 150 करोड़ से ज्यादा मिला है, जाहिर है बाजार की चमक कोरोना बैक लॉग से नहीं वास्तविक मांग पर है। उम्मीद है, आगे त्यौहारी बाजार है, जिस तरह की पूछ-परख चल रही है, बाजार की चमक और कारोबार में बढ़ौतरी होगी।

पंजीयन विभाग के अनुसार पिछले साल करीब 1835 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। लिहाजा हर माह 150 करोड़ रुपए औसत आय हुई थी। इस साल अप्रैल से अब तक की आय का जो ट्रेंड मिल रहा है, वह इसके आसपास या इससे ज्यादा ही रहा है।

17 अगस्त तक शहर में करीब 5700 करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री हो चुकी है। इससे सरकार को करीब 680 करोड़ रुपए का राजस्व भी मिला है।

डीआइजी बालकृष्ण मोरे का कहना है, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री में बढ़ने का ट्रेंड मिल रहा है। आय व रजिस्ट्री की संख्या बढ़ना इसका प्रमाण है।

प्रॉपर्टी की खरीद बिक्री के इस ट्रेंड पर क्षेत्रवार नजर डाले तो यह सुपर कॉरिडोर से उज्जैन रोड, बायपास और राउ की ओर तेजी से बड़ रहा है। विजय नगर व कनाडिया पंजीयन कार्यालय में चार महीनों में क्रमश 133 व 142 करोड़ की आय हुई है।

विजय नगर में सुपर कॉरिडोर, उज्जैन रोड से एबी रोड -बायपास एमआर-़10 व इंदौर-2 कनाडिया में बायपास राउ सर्कल तक आकार ले रही टाउनशिप व कॉलोनियां आती है। इंदौर-4 एरोड्रम क्षेत्र में भी सौदे तेजी से हो रहे हैं।

रीयल इस्टेट से जुड़े जानकार इसका कारण इंदौर के आसपास हो रहे औद्योगिक विकास को बताते हैं। इसके अलावा आईटी कंपनियों के वर्क फ्राम युवर सिटी कान्सेप्ट से भी घरों की मांग बड़ी है। आईटी प्रोफेशनल इंदौर को अपना घर बना रहे हैं।

प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले यह युवा शहर के सघन इलाकों से दूर आसपास के खुले क्षेत्रों में बस रही कॉलोनियों में अपना खुद का घर चाहते हैं। पति-पत्नि दोनों यदि जाब में है तो लोन का सहारा ले कर अपना सपना पूरा कर रहे हैं।

तीसरा बड़ा कारण बड़े महानगरों की तुलना में इंदौर में अभी प्रापर्टी बहुत सस्ती है। प्लॉट के रूप में मिल रही है। अब कॉलोनाइजर व डेवलपर भी छोटे प्लॉट के ले आउट बना रहे हैं।

इन क्षेत्रों में सुविधाएं बड़े तो बात बनें

जिन क्षेत्रों में प्रॉपर्टी के सौदे हो रहे हैं, वहां तक नगर निगम की पहुंच नहीं है। हालांकि 70 फीसदी इलाका नगर निगम क्षेत्र का हिस्सा है। इन क्षेत्रों में कॉलोनाइजरों ने तो मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई है, लेकिन नगर निगम को इनकी प्राइमरी लाइनें डालने की व्यवस्था करना होगी।

पानी वितरण के लिए टंकियों का निर्माण करना होगा। इन क्षेत्रों में आवाजाही के लिए सड़कों की कनेक्टिविटी देने की जरूरत है।

जिससे लोक परिवहन व अन्य आवागमन के साधन लोगों को मिल सकें। अभी इन क्षेत्रों में विकास का खाका नहीं खींचा गया है। अपना घर खरीदने के लिए पसंद बन रहे इन क्षेत्रों को निगम चाहे तो नए स्मार्ट इंदौर के तौर पर विकसित कर सकती है।

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