Indore Top News – सरकारी तंत्र और मशीनरी से इतर तेंदुआ गायब होने की गुत्थी पर जाने क्या कहती है सुनील सिंह बघेल की रिपोर्ट

sadbhawnapaati
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फॉरेस्ट गेस्ट हाउस के पीछे ढूंढ निकाले पग मार्क,यही पिंजरे से निकलकर 6 दिन झाड़ियों में छुपा रहा तेंदुआ

सुनील सिंह बघेल (दैनिक भास्कर) की खास रिपोर्ट | तेंदुए के चिड़िया घर से भागकर 7 दिन बाद नवरतन बाग वन विभाग ऑफिस पहुंचने की कहानी की पोल खुलती नजर आ रही है। अपनी पड़ताल में मुझे फॉरेस्ट गेस्ट हाउस के ठीक पीछे एक बिल्कुल सुनसान हिस्से में तेंदुए के पग मार्क मिले.

यह पग मार्ग गेस्ट हाउस के पीछे, सुनसान गलियारे से होकर घास, कीचड़ और झाड़ियों से भरे उस सुनसान इलाके की ओर जाते नजर आ रहे हैं, जहां तेंदुए को एक मजदूर ने पहली बार देखा था।

यह पग मार्ग इस और साफ इशारा कर रहे है कि तेंदुआ नवरत्न बाग से ही पिंजरे से गायब हो गया था। त्रिपाल से ढके होने के कारण संभवत तेंदुए के साथ आई टीम को रात को इसका पता ही नहीं चला और वह खाली पिंजरा चिड़ियाघर में छोड़कर गेस्ट हाउस आ गई।

चिड़ियाघर में भी जो पग मार्ग और सीसीटीवी फुटेज मे किसी जानवर के देखे जाने की बात आई थी , विशेषज्ञों की जांच में वह भी तेंदुए के नहीं निकले। ऐसे में यह बात और पुख्ता हो जाती है कि तेंदुआ इंदौर के नवरतन बाग स्थित कार्यालय में बने गेस्ट हाउस से ही गायब हुआ था।

हमने ऐसे ढूंढे पग मार्ग..


दरअसल पकड़े जाने से पहले जिस बाउंड्री वॉल से घिरे झाड़ियों से भरे जिस कंपाउंड में  तेंदुआ पहली बार देखा गया, वहां पहुंचने के सिर्फ दो ही रास्ते हैं।
1- एक रास्ता सीसीएफ कार्यालय के भीतर चैनल गेट से होकर जाता है। जाहिर है रात में कार्यालय चैनल गेट बंद होने और दिन में चहल-पहल होने के कारण तेंदुए का यहां से मैदान में जाना संभव नहीं था।
2- हमने दूसरा रास्ता तलाशना शुरू किया। यह तलाश हमें छोटे गेस्ट हाउस के पीछे की तरफ ले गई। इस निर्जन इलाके में हमें गेस्ट हाउस के ठीक पीछे तेंदुए के पैरों के कुछ हल्के निशान मिले।
यह निशान  झाड़ियों से भरे मैदान की ओर जा रहे थे। हम सावधानीपूर्वक आगे बढ़े । गेस्ट हाउस, सीसीएफ कार्यालय और बाउंड्री वॉल के बीच बने गलियारे की गीली जमीन में हमें तेंदुए के पैरों के स्पष्ट निशान मिल गए।
यह गलियारा आगे जाकर झाड़ियों से भरे उसी कंपाउंड में खत्म होता है, जहां यह पहली बार देखा गया था।

इस झोपड़ी के पीछे पहली बार दिखा था तेंदुआ-

खाली कंपाउंड में प्राकृतिक रूप से एक पेढ़ के तीन तरफ बनी यह झोपड़ी नुमा संरचनाआगे की तरफ पूरी तरह लताओं से घिरी हुई है।
7 दिसंबर को करीब 10:30 बजे जब एक कर्मचारी राम सिंह बदाम तोड़ने झोपड़ी जैसी संरचना के पास पहुंचे। पिछले दोनों पैरों से लाचार तेंदुए ने उस पर गुर्रा लपपकने की कोशिश की।
देखते ही देखते हल्ला हुआ और रेस्क्यू टीम पहुंची। राम सिंह बताते हैं तेंदुआ फिर सुनसान गलियारे की ओर जाने लगा।
एक तरफ हम लोग थे, दूसरी तरफ से हल्ला हुआ तो वहां से उसने वहां से बाउंड्री वाल पार करने की कोशिश की,जहां पेड़ लगे हुए हैं। इस प्रयास में नाकाम होकर तीन बार नीचे गिरा। चौथी बार किसी तरह बाउंड्री वाल पर चढ़कर दूसरी ओर आ गया।

वहीं से उसे पकड़ा गया। कितना कमजोर था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बड़ी आसानी से रेस्क्यू के बाद कर्मचारी उसे गोद में रखकर चिड़िया घर ले गए।

तो क्या खाली पिंजरा लेकर चिड़िया घर गई टीम-

 नेपानगर से तेंदुआ लेकर आई गाड़ी के ड्राइवर अरुण भी बता चुके हैं कि टीम नवरतन बाग गेस्ट हाउस पहुंची थी।यहीं पर ऑफिसर कॉलोनी की ओर जाने वाली मुख्य मुख्य सड़क से हटकर एक तरफ बने गेस्ट हाउस के सामने पार्किंग की जगह है।

यहां से ठीक सामने की ओर 50-60 फीट आगे बढ़ने पर गेस्ट हाउस का पिछवाड़ा, खाली पड़ी एक पुरानी बिल्डिंग और बाउंड्री वाल मिलकर, एक छोटा सा गलियारा बनाते हैं।
यह गलियारा मुख्य कार्यालय के पिछले हिस्से में ऐसी सुनसान जगह जाता है जहां पूरे मैदान में ऊंची घास, बेल और झाड़ियों का जाल फैला हुआ है।
यहां पेड़ के चारों तरफ फैली जंगली बेल झोपड़ी जैसी संरचनाए भी बनाती है। जोकि तेंदुए के छिपने के लिए एक आदर्श जगह है।
कई रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े रहे एक वन अधिकारी बताते हैं कि तेंदुए जैसे जंगली जानवर हवा सूंघकर नम और जंगली क्षेत्रों का पता लगा लेते हैं। पूरे वन विभाग कार्यालय में शोर-शराबे से दूर यही सब से सुनसान और छुपने के लिए एक आदर्श जगह भी है।

संदर्भ

आगे की पोस्ट उनके लिए जो मूल घटना से ना वाकिफ है । इंदौर में नेपानगर से पकड़कर एक 8 माह का तेंदुआ लाया गया था। जिसके दोनों पिछले पैर पैरालाइज थे।

वन विभाग की टीम ने उसे रात में इंदौर जू में खड़ा करने का दावा किया। सुबह देखा तो पिंजरे से गायब था। जू प्रबंधन का कहना था कि जू मे खाली पिंजरा लाया गया था।
वन विभाग का दावा था तेंदुआ यहीं से भागा। 6 दिन तक चिड़ियाघर और आसपास सर्चिंग अभियान चला। जू को बंद रखा गया।
आखिरकार दोनों पैरों से लाचार तेंदुआ, 6 दिन बाद चिड़िया घर से 2 किलोमीटर दूर, रहस्यमय ढंग से इंदौर वन विभाग के कार्यालय में ही पीछे झाड़ियों से भरे एक सुनसान कंपाउंड में मिला।
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