इंदौर: वृक्ष अधिकारी की जानकारी अब भी गोपनीय — जनसामान्य तक नहीं पहुंच रहा संपर्क विवरण

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इंदौर। नगर निगम सीमा में पेड़ों की कटाई, प्रत्यारोपण और संरक्षण से संबंधित मामलों में नियमानुसार “वृक्ष अधिकारी” की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के अनुपालन में इंदौर में इस पद पर वन विभाग के एसडीओ स्तर के अधिकारी की नियुक्ति भी की जा चुकी है। किन्तु हैरानी की बात यह है कि आज तक नगर निगम इंदौर, वन विभाग या जिला प्रशासन की किसी भी वेबसाइट पर इस अधिकारी का नाम, कार्यालय स्थान, ईमेल व संपर्क नंबर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।

जबकि इस पद का सीधा संबंध नागरिकों के पर्यावरणीय अधिकारों से है। यदि किसी क्षेत्र में पेड़ काटे जा रहे हैं, या कोई जन जागरूक नागरिक वृक्षों की रक्षा हेतु आपत्ति दर्ज कराना चाहता है, तो उसे यह भी पता नहीं कि संपर्क कहाँ और कैसे करे।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस विषय पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि —

“पेड़ों को बचाने की जिम्मेदारी कानून ने वृक्ष अधिकारी को दी है। लेकिन जब उस अधिकारी तक पहुँचना ही असंभव हो, तो जनता की भागीदारी कहाँ से होगी?”

ज्ञात हो कि इंदौर में कई परियोजनाओं — जैसे हुकुमचंद मिल क्षेत्र का पुनर्विकास — में बड़ी संख्या में पुराने वृक्ष मौजूद हैं। इसीलिए वृक्ष अधिकारी से पारदर्शिता की अपेक्षा और भी बढ़ जाती है।

इस सन्दर्भ में एक आधिकारिक आदेश दिनांक 25 अप्रैल 2025 को जिला दंडाधिकारी एवं कलेक्टर, इंदौर द्वारा जारी किया गया था। आदेश क्रमांक 32/IMC/2025 के अनुसार, माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर द्वारा पारित आदेश (याचिका क्रमांक 17446/2024, दिनांक 18.12.2024) के अनुपालन में कैलाश जोशी, अनुविभागीय अधिकारी (वन), मण्डल–इंदौर को वृक्ष अधिकारी के रूप में अधिकृत किया गया है।

यह अधिकारी नगर निगम इंदौर की सीमा में सभी निर्माण/संवर्धन कार्यों के दौरान बाधक वृक्षों की छंटाई/कटाई/स्थानांतरण की अनुमति देने हेतु वैधानिक प्राधिकृत हैं। साथ ही यह आदेश स्पष्ट करता है कि उन्हें संविधान, अधिनियम एवं नियमों का पूर्ण पालन करना होगा।

अब मांग उठ रही है कि नगर निगम और वन विभाग तत्काल वृक्ष अधिकारी की सूचना (नाम, मोबाइल, कार्यालय स्थान, मिलने का समय) को सार्वजनिक करें, ताकि जनभागीदारी सुनिश्चित हो और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्वास बन सके।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।