तकरीबन 52 एकड़ में फैले कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में अधिकतर आम जनता के लिए योजना ठेके पर है। बर्ड हाउस से लेकर अग्रवाल अप्पू घर का रेस्टोरेंट हो या फिर बॅटरी चलित कार का मामला हो सभी काम बीओटी या पीपीपी मॉडल के तहत कंपनियों को दिए गए हैं। अब यदि नई योजना पर पूरी तरह से अमल किया जाता है और योजना को सफलता मिलती है तो नया काम भी पीपीपी मॉडल के तहत दिया जाएग चिड़ियाघर में अन्य काम भी बीओटी या पीपीपी मॉडल के तहत देने की तैयारियां की जा रही हैं। इतने बड़े पैमाने पर फैले चिड़ियाघर में कई ऐसे काम है जो नगर निगम के बूते का नहीं है और यहां पर आवक कम और खर्च अधिक रहता है। इसलिए बजट में भी विशेष प्रावधान चिड़ियाघर के लिए रहता है। यहां छोटे बड़े जंगली व पालतू जानवरों की संख्या भी 850 से अधिक है । इसलिए उनके रखरखाव और देखभाल नगर निगम को महंगा पड़ रही है। यही कारण है कि टिकट दरों में बढ़ोतरी के साथ साथ अब चिड़ियाघर में अधिकतर नई योजना बी ओ टी या पीपीपी मॉडल के तहत दी जा रही है, जिससे नगर निगम को फायदा ही हो रहा है।
चिड़ियाघर में पीपीपी मॉडल पर है यह योजनाएं
चिड़ियाघर में अभी की स्थिति में देखा जाए तो पक्षी विहार रागा एवेरी हैदराबाद कंपनी द्वारा संचालन किया जा रहा है जो प्रतिमाह नगर निगम को 1 लाख दे रहा है। पक्षी घर में 32 प्रजातियों के 350 से अधिक छोटे-बड़े देशी विदेशी पशु पक्षी है। वही प्रतिमाह इतनी आय नगर निगम को इससे हो जाती है। यह काम भी हो एक तरह से पीपीपी मॉडल के तहत दिया गया है। अप्पू घर वाले अग्रवाल जिनका रेस्टोरेंट है, इनके द्वारा तकरीबन 9 लाख सालाना आय नगर निगम को दी जाती है। यह काम पीपीपी मॉडल के तहत दिया गया है जो चिड़िया घर के गेट क्रमांक 4 के पास है। अग्रवाल रेस्टोरेंट को 5 वर्ष की लीज पर निगम ने ठेके पर दिया है।
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बिहार की कंपनी द्वारा यहां दो बैटरी चलित कार संचालित की जा रही है जो खासकर बुजुर्ग वह बच्चों के लिए है जो विड़ियाघर के मुख्य गेट से लेकर प्रत्येक पिंजरे के पास 5 मिनट रोक कर पुनः मुख्य गेट पर छोड़ 30/ छोड़ देते हैं। इसमें प्रति यात्री का 30 किराया वसूला जाता है और एक बार में 5 से 6 यात्री को बिठाया जाता है। इसमें बैटरी चलित कार में प्रतिमाह किराया प्रति व्यक्ति के अनुमान से नगर निगम में जमा किया जा रहा है। स्नेक हाउस में देशी-विदेशी अलग-अलग प्रजाति के सांप चिड़ियाघर में रखे गए हैं। इसको भी पहले पीपीपी मॉडल के तहत देने की तैयारी थी और कई कंपनियों से संपर्क भी किया लेकिन अब इसे नगर निगम ही संचालित कर रहा है। यहां लगभग 50 करोड़ की लागत से मछली घर की भी तैयारी कर ली है जो पीपीपी मॉडल के तहत देने जा रहे हैं जिसके टेंडर जल्द होंगे । इस मछली घर में विशेष तौर से संभाग कमिश्नर डॉ पवन कुमार शर्मा रुचि ले रहे हैं। इसलिए इतने बड़े पैमाने पर बजट रखा है।
एक तरह से देखा जाए तो चिड़ियाघर को ठेका पर भी कह सकते हैं। यहां आगे भी पीपीपी मॉडल के तहत काम देने को तैयारियां है। चिड़ियाघर प्रभारी डॉ उत्तम यादव ने बताया कि पक्षी विहार हो या अप्पू घर वाले अग्रवाल रेस्टोरेंट हो, बिहार की कंपनी द्वारा बैटरी चलित कार का मामला हो या फिर अब मछली घर की योजना हो यह सभी काम पीपीपी मॉडल के तहत दिए गए हैं हैं। या भविष्य में देंगे। इससे नगर निगम को अलग आय भी हो रही हैं और इसमें परेशानी नहीं है।
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