जबलपुर हाई कोर्ट : जनहित याचिका खारिज, चलता रहेगा बुलडोजर 

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जबलपुर. प्रदेश में बुलडोजर की कार्रवाई को लोगों के मौलिक अधिकारों के हनन और डर का माहौल पैदा होने की दलीलों के साथ लगाई गई जनहित याचिका को आज चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस पीके कौरव की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता न तो पीड़ित है और न ही पीड़ितों से उसका कोई सीधा संबंध है।

चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने अपने विस्तृत आदेश में लिखा है कि याचिकाकर्ता ना तो पीड़ित है और ना ही किसी पीड़ित से उसका कोई सीधा संबंध है। लिहाजा, यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी पीड़ित के साथ गलत हो रहा है, तो वह सीधे न्यायिक प्रक्रिया को अपनाते हुए अपनी समस्या को हाईकोर्ट के सामने रख सकता है।

हाईकोर्ट ऐसे मामले को संज्ञान में लेते हुए सुनवाई भी करेगा। कोई भी पीड़ित अपने अधिकारों के लिए लड़ाई खुद लड़ सकता है।

ये लगाई गई थी याचिका

मंडला रोड तिलहरी निवासी अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर प्रदेश में बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

याचिका में अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई थी कि सरकार की बुलडोजर कार्यवाही से मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। प्रदेश के आम लोगों में भय का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

याचिका में मप्र सरकार और डीजीपी मप्र को पक्षकार बनाया गया था। सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड ने रखा।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।