लेखक-डॉ. भरत मिश्र प्राची
भारत सदा से हीं शांति प्रिय देश रहा है। वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देने वाला विश्व में एकमात्र कोई देश है तो वह भारत हीं है। शांति के प्रतीक सफेद कपोत को उड़ाकर विश्व भर में संदेश पहुंचाने वाला भारत हीं है पर यदि किसी ने इसकी अस्मिता को चुनौति दी, युद्ध के लिये प्रेरित किया तो उसका जबाब भी दिया। इस मामलें में उसके हौंसले सदा बुलन्द रहे।
हौंसला बुलन्द है भारत का याद दिलाता है कारगिल विजय दिवस जो प्रति वर्ष 26 जुलाई को हर्षोल्लास से देशभर में मनाया जाता है।
पाक ने, 1948, 1965 1971 में इस तरह की हरकतें कर चुका है जहां उसे हर बार भारतीय सेना से मात खानी पड़ी। तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल में पाक भारत युद्ध के दौरान भारतीय जवानों ने पाक को करारा जबाब देते हुये उसकी भूमि पर कब्जा भी कर लिया।
युद्ध उपरान्त समझौते के तहत फतह की हुई पाक धरा को वापिस करने के ममालें की आंतरिक पीड़ा को नहीं सह पाने के कारण देश ने तासकंध वार्ता के तहत एक ईमानदार प्रधानमंत्री को खो दिया।
जिसकी भरपाई आज तक नहीं हो पाई। 1971 में भी तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुये पाक भारत युद्ध में पाक को बहुत बड़ी हार मिली जहां पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो कर बंगला देश बना। इस युद्ध में भी भारतीय जवानों द्वारा जीत में हासिल पाक भूमि को शिमला समझौते के तहत लौटा दी गई।
पर पाक नहीं सुधरा। उसने कभी भी भारत को अपना पड़ौसी देश नहीं माना। बार – बार भारतीय सेना से मात खाने बाद भी नापाक हरकतें करता रहा। भारत हर बार पड़ौसी होने का फर्ज निभाता रहा और पाक हर बार उसकी पीठ में छूरा घोंपता रहा।
परमाणु समझौते की वार्ता के दौरान फिर से वर्ष 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पड़ौसी देश पाक ने भारत को युद्ध के लिये ललकारा जिसका जबाब भारतीय जवानों ने मुस्तैदी के साथ दिया। यह युद्ध 60 दिनों तक चला जिसमें कारगिल पर विजय हासिल कर देश का झंडा भारतीय जवानों ले लहराया।
इस विजय को हासिल करने में हमने बहुत कुर्बानियां दी, कई देश भक्त शहीदों ने अपनी आहुति दी जिसे किसी भी कीमत पर भुलाया नहीं जा सकता।
देश में पहली बार 1999 में हुये युद्ध में वीरगति पाने वाले शहीद सैनिकों के शव सम्मान सहित उसके पैतृक जन्म स्थली तक पहुंचाये गये जहां सम्मान सहित दफनाया गया एवं उसकी स्मृति में मूर्ति का अनावरण भी हुआ। कई जगह वीरगति प्राप्त जवानों की याद में सड़क, सार्वजनिक भवन, विद्यालयों का नामकरण भी हुआ।
आज देश के कोनें कोनें में देश भक्त शहीदों की मूर्ति देखने को मिलेगी। कारगिल विजय दिवस युद्ध के दौरान शहीद हुये सभी देश भक्तों को ससम्मान याद करने के साथ साथ भारत के बुलंद हौंसले की याद दिलाता है।