माता श्मशान काली के बारे में जानें

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sadbhawnapaati
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सनातन धर्म में कई पुराणों व ग्रंथों का वर्णन हैं। इन शास्त्रों में जहां चरित्र, स्वरूप, वाहन आदि के बारे में बताया गया है तो वहीं धार्मिक शास्त्रों में इनसे संबंधित कई मंत्रों का भी उल्लेख मिलता है। इन सूची में हिंदू धर्म के लगभग सभी प्रमुख देवी-देवता शामिल हैं। बात करें काली माता को तो धार्मिक ग्रंथों में इनसे जुड़े उल्लेख के अनुसार यू को इनके कई अनेकों रूप हैं, परंतु दक्षिणा काली, श्मशान काली, मातृ काली था महाकाली रूप को इनके प्रुमख स्वरूपों की गिनती में माना जाता है। बता दें इन रूपों के अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि भी इनके ही विभिन्न अवतार हैं। ज्योतिषी बताते हैं कि इनके तमाम रूपों की पूजा-उपासना विभिन्न तरह से की जाती हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताते जा रहे हैं श्मशान काली माता के बारे में तथा उनकी आराधना के लिए उपयोग होने वाले शक्तिशाली मंत्र के बारे में-

धार्मिक ग्रंथों में भयानक अंधकार और श्मशान की देवी को श्मशान काली के नाम से जाना जाता है। मुख्य रूप से इन काली माता का मंदिर श्मशान में ही स्थित होता है। इसलिए इनकी पूजा भी यही होती हैं। बता दें इनकी पूजा अधिक तौर पर तांत्रिक और अघोर पंथ के लोगों द्वारा की जाती है। ये लोग श्मशान काली की साधना उनसे तांत्रिक विद्या हासिल करने के लिए करते हैं। तांत्रिकों के अनुसार वे देवी जो श्मशान में रहती हैं, वह ही श्मशान काली कहलाती हैं।

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कहा जाता है श्मशान में जाते ही व्यक्ति को संसार की नश्वरता का अहसास होता है तथा वैराग्य प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार भेदों से युक्त मातंगी, सिद्ध काली, धूमावती, आर्द्रपटी चामुण्डा, नीला, नील सरस्वती, घर्मटी, भर्कटी, उन्मुखी तथा हंसी ये सभी श्मशान-कालिका के भेद रुप हैं।

श्मशान काली की आराधना के लिए निम्न मंत्र का उपयोग किया जाता है-
मंत्र:-॥ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं ॥

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्मशान घाट में अघोरी तीन तरह से साधना करते हैं- श्‍मशान साधना, शिव साधना, शव साधना। ऐसी साधनाएं अक्सर तारापीठ के श्‍मशान, कामाख्या पीठ के श्‍मशान, त्र्यम्बकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्मशान में होती है।

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