डॉ. ओ पी जोशी, वरिष्ठ पर्यावरण विद्
इंदौर। कुछ समय पहले पढ़ने में आया था कि शहर की मालवा मिल व कल्याणमल मिल की जमीन पर सिटी फारेस्ट बनाए जाएंगे। शहरी जनसंख्या और क्षेत्र के हिसाब से शहर में सिटी फारेस्ट कम है। हरियाली भी नौ से दस प्रतिशत ही बची है। जलवायु बदलाव का प्रभाव शहर पर भी हो रहा है, जिससे चरम मौसम (एक्स्ट्रीम वेदर) की घटनाएं बढ़ रही हैं और गर्मी व लू (हीट वेव) के दिनों में भी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2024 में मई माह में ग्यारह दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा और 23 मई को पारा 44.5 डिग्री पर पहुंच गया। 28 फरवरी को अधिकतम तापमान 35 डिग्री दर्ज किया गया और अप्रैल में लगभग 20 दिन तापमान 40 डिग्री के आसपास रहा। वर्ष 2022 के बाद से सुहावना बसंत का मौसम शहर से बिदा हो गया है।
मिलों की जमीन पर शहरी वन बनाने के साथ अन्य स्थानों पर लगे छोटे-बड़े पेड़ों के समूहों को बचाना भी जरूरी है। योजनाओं में कुछ बदलाव कर बड़ी संख्या में पेड़ बचाए जा सकते हैं। देश में कई स्थानों पर पेड़ बचाए भी गए हैं। सागर में जिलाध्यक्ष के भवन के नक्शे में बदलाव कर दो पुराने कल्पवृक्षों को कटने से बचाया जो वर्षों से वहां की शोभा बढ़ा रहे थे। महाराष्ट्र में रत्नागिरी, सोलापुर हाइवे पर येलम्मा मंदिर के पास 400 वर्गमीटर में फैले पुराने बरगद के पेड़ को बचाने के लिए भोसे गांव (सांगली जिला) के लोगों ने चिपको आंदोलन चलाया व धरना प्रदर्शन भी किया।
जब केन्द्रीय मंत्री को यह जानकारी मिली तो उन्होंने हाइवे का नक्शा बदलने का निर्णय लिया और पुराने पेड़ बच गए। नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड ने ठाणे स्टेशन की डिजाइन में बदलाव कर लगभग 30 हजार पेड़ बचा लिए। यह कार्य मुम्बई से गुजरात बुलेट ट्रेन योजना से जुड़ा था। हमारे पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग ने एक नवाचार के तहत कोरबा जिले के गांव लबेद में भूमिगत नहर फसलों को सिंचाई हेतु बताई। इससे लगभग 800 किसानों की खेती की जमीन तथा सैकड़ों पेड़ बच गए। दिल्ली एनसीआर में रेपोडहिजाइन में बदलाव कर इसे अरावली वागो डायवर्सिटी पार्क के नीचे से निकाला गया, इससे 150 पेड़ कटने से बच गए। मुंबई के भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर में डा. भाभा ने कई पेड़ों को बचाकर घुमावदार सड़कें बनवाई थी।
हमारे शहर में भी ऐसे कुछ प्रयास पेड़ बनाने के लिए किए गए हैं। अन्नपूर्णा मार्ग पर चाणक्यपुरी चौराहे के पास ड्रेनेज लाइन के अलाइनमेंट में बदलाव कर 20-25 पेड़ बचाए गए। ये पेड़ वहां के किसी निवासी ने अपने परिजनों की याद में लगाए थे। एमटीएच कंपाउंड में पुलिस भवन के लिए अंग्रेजी के एस आकार की डिजाइन बनाकर 40 पेड़ बचाए गए। नौलखा क्षेत्र में संवाद नगर से गुजरने वाली सड़क पर स्थानीय प्रशासन ने डिवाइडर नहीं बनाने का निर्णय लेकर 36 पेड़ बचाए। कहा गया कि पेड़ ही डिवाइडर का कार्य करेंगे। देपालपुर के खजराया रोड पर बने बालक छात्रावास में 100 से ज्यादा पेड़ लगे हैं। यहां एक नया छात्रावास बनाने के लिए पेड़ काटे जाने थे परंतु गांव वालों के विरोध को देखकर नया छात्रावास नगर परिषद के पीछे बनाने का निर्णय लिया एवं पेड़ बच गए।
बढ़ती गर्मी का सामना करने के लिए शहरों के लिए जो हीट एक्शन प्लान बनाए जा रहे हैं, उनमें भी प्राथमिकता के आधार पर पेड़ एवं जल संरचनाएं बचाने की बात कही गई है।