प्रदेश में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का मामला काफी समय से चल रहा है। समय-समय पर कॉलोनियों को वैधता भी दी गई पर तीन जून 2019 को हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद यह काम रुक गया। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नियम बनाने की बात कही थी पर तैयारी के बीच ही सत्ता परिवर्तन हो गया। शिवराज सरकार ने मार्च 2021 के बजट सत्र में संशोधन विधेयक लाने की तैयारी की थी पर कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सत्र समय से पहले स्थगित हो गया। विधानसभा के मॉनसून सत्र को लेकर अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से प्रावधान लागू करने की तैयारी की है।
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दिसंबर 2016 तक के निर्माण होंगे शामिल
मध्य प्रदेश नगर पालिका (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन तथा शर्तें) नियम 1998 में नियम 15-क जोड़ा गया था। इसमें 31 जून 1998 तक विकसित अनाधिकृत कॉलोनियों तथा उसमें भूखंडों पर अवैध निर्माण का शुल्क लेकर नियमितीकरण करने का प्रविधान था। इस समय सीमा को पहले 30 जून 2002 तक फिर 31 दिसंबर 2016 तक बढ़ाया गया था।
यह होगा फायदा
बैंक से भूखंड पर ऋण ले सकेंगे।
– सड़क, बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं नगरीय निकायों के माध्यम से मिल सकेंगी।
– स्वीकृत नक्शे से अधिक निर्माण यदि 20 फीसद तक है तो उसे समझौता शुल्क लेकर मान्य किया जाएगा। इससे अधिक को तोड़ा जाएगा।
– निकायों की आय बढ़ेगी और विवाद भी खत्म होंगे।
सख्ती भी होगी
– बिना निर्माण कॉलोनी बनाने वाले कॉलोनाइजर के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। सात साल की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा। रहवासी के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।
– कॉलोनाइजर यदि जुर्माने की राशि नहीं चुकाते हैं तो बैंक गारंटी या संपत्ति कुर्क करके वसूली की जाएगी।
– यदि अवैध निर्माण होता है तो संबंधित नगरीय निकाय के अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होगी।
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