महज 12 साल की उम्र में मनीष कौशिक ने जीता पदक, टोक्यो ओलंपिक में Gold जीतकर रचना चाहते हैं इतिहास

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sadbhawnapaati
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टोक्यो ओलंपिक में भिवानी के मनीष कौशिक 63 किलोग्राम भार वर्ग में भारत का नेतृत्व करेंगे।

खेल। 29वें टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में 25 वर्षीय मनीष कौशिक (Manish Kaushik) 63 किलोग्राम भार वर्ग में भारत (India) का नेतृत्व करेंगे। इससे पहले उन्होंने इसी साल स्पेन में राष्ट्रमंडल खेलों धुरंधर मुक्केबाजों को धूल चटाकर स्वर्ण पदक हासिल किया। वहीं मनीष ओलंपिक की तैयारी के लिए इस समय इटली में जमकर पसीना बहा रहे हैं, इसके साथ ही मनीष का सपना है कि वह ओलंपिक में स्वर्ण जीतकर देश का नाम रोशन करे।

मनीष के नाम कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज हैं। वहीं मनीष के पिता ने हरिभूमि से बात करते हुए बताया कि मनीष का हमेशा ताकत और तकनीर पर फोकस रहता है। हमें उम्मीद है कि वह टोक्यो में अपने देश का झंडा जरूर ऊंचा करेगा।

कम उम्र में संजोया मुक्केबाजी का सपना

11 जनवरी 1996 को हरियाणा के भिवानी जिले के गांव देवसर में साधारण किसान के परिवार में मनीष कौशिक का जन्म हुआ। 2008 में गांव के ही मुक्केबाज जितेंद्र और जिले के बिजेंद्र और अखिल का पदक जीतने के बाद घर लौटने पर शानदार स्वागत होता देखा तो उन्होंने भी मुक्केबाजी में ही करियर बनाने की सोच ली थी। उस समय मनीष की उम्र महज 12 साल ही थी। यही संकल्प आज उनके परिवार, गांव, जिले, प्रदेश और राष्ट्र के लिए बुलंदियों पर देखा जा रहा। मनीष ने मुक्केबाजी के कैरियर की असल इबादत वर्ष 2015 में कतर के दोहा अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीतक लिखी। इन्हीं बुलंदियों ने उन्हें वर्ष 2016 में भारतीय सेना में सहायक सूबेदार बना दिया। यही नहीं उन्होंने बचपन में ही 32 किग्रा भार वर्ग में पहला पदक जीता।

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अपने प्रदर्शन से बनाई ओलंपिक की राह

अर्जुन अवॉर्डी मनीष कौशिक को मुक्केबाजी के वरिष्ठ कोच नरेंद्र राणा ने एक नजर में पहचान कर माना कि यदि ऐसे बेहतरीन मुक्केबाज भारत के पास होंगे तो ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिला सकता है। जिसने वर्ष 2016 में सीनियर कैंप के फाइनल में अनुभवी मुक्केबाज़ शिवा थापा को हराकर चैंपियन का खिताब हासिल किया। इस पर कोच ने उसे प्रोत्साहित किया, तो वर्ष 2016 में इस होनहार भारतीय मुक्केबाज ने कजाखिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज़ी टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल कर सबको चौंका दिया। मनीष के मौजूदा कोच मनजीत सिंह का कहना है कि ऐसे एक नहीं, कई मौके आए जब मनीष ने अपने मुक्के के पंच से उम्मीद से ज्यादा दम दिखाया। कोच की माने तो पिछले शानदार प्रदर्शनों ने मनीष कौशिक के लिए ओलंपिक की राह को बेहद आसान बनाया।

मुक्केबाजी में अबतक मनीष की उपलब्धियां

– 2008 में मुक्केबाजी का सफर शुरू।

– 2009 में नेशनल कप ठाणे में 32 किग्रा में पहला स्वर्ण।

– 2015 में पहली बार सीनियर नेशनल बॉक्सिंग में रजत।

– 2015 में दोहा अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक

– 2015 में प्रेजीडेंट कप में कांस्य पदक।

– 2016 में सेना में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हुए।

– 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट खेलों में रजत।

– 2019 में नेपाल में साउथ एशियन गेम्स में रजत।

– 2019 में विश्व मुक्केबाजी में कांस्य पदक।

– 2020 में उपलब्धियों के लिए मिला अर्जुन अवाॅर्ड।

– 2020 में ओलंपिक क्वालिफाई मुकाबलों में हासिल किया टोक्यो ओलंपिक का कोटा।

– 2021 में स्पेन में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक।

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