माँ:अप्रतिम-अनमोल रिश्ता’ पर विजेता बने गोपाल मोहन मिश्र व डॉ. कुमारी कुन्दन

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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इंदौर। हिंदी लेखन को बढ़ावा एवं सम्मान देने के लिए सतत प्रयास के तहत हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा ४४ वीं स्पर्धा ‘माँ: अप्रतिम-अनमोल रिश्ता’ (मातृ दिवस विशेष) विषय पर कराई गई। इसमें गोपाल मोहन मिश्र ने पहला और डॉ. कुमारी कुन्दन ने दूजा स्थान प्राप्त किया है।
स्पर्धा के परिणाम जारी करते हुए मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने यह जानकारी दी। आपने बताया कि, प्राप्त प्रविष्टियों में से श्रेष्ठता अनुरूप निर्णायक मंडल ने पद्य में ‘याद मुझे तू आती माँ’ पर गोपाल मोहन मिश्र (बिहार) को प्रथम विजेता घोषित किया है। इसी तरह श्रेष्ठ रचना ‘वात्सल्य से भरा पिटारा’ के लिए डॉ. कुन्दन (बिहार) और ‘माँ को शत्-शत् प्रणाम’ पर डॉ. धारा वल्लभ पाण्डेय (उत्तराखंड) को तृतीय स्थान दिया गया है।
श्रीमती जैन ने बताया कि,१.४९ करोड़ दर्शकों-पाठकों का अपार स्नेह एवं ७ सम्मान पाने वाले इस मंच की संयोजक सम्पादक प्रो.डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’, सरंक्षक डॉ. अशोक जी (बिहार) एवं प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता'(छग) ने सभी विजेताओं व सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।