मध्य प्रदेश में शराब (आबकारी) नीति पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस इस नीति को लेकर सरकार पर मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश बनाने का आरोप लगा रही है।
पार्टी इसे बड़े मुद्दे के रूप में देख रही है क्योंकि ये हर वर्ग से जुड़ा विषय है। वहीं, भाजपा द्वारा कांग्रेस को नसीहत दी जा रही है कि वह अपने गिरेबान में झांककर देखे।
कमल नाथ सरकार में तो पूरे जिले के जिले ठेकेदारों को सौंप दिए गए थे और घर-घर शराब बनाने की तैयारी हो गई थी। महिलाओं के लिए अलग से शराब दुकान खोली जा रही थीं।
नई शराब नीति को लेकर सांस्कृतिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लग रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने गुरुवार को पत्रकारवार्ता में कहा कि आबकारी नीति से सरकार की कलई खुल गई है।
एक भी नई दुकानें न खोलने के दावे के विपरीत एक ही दुकान पर देशी और विदेशी श्ाराब बेचने की अनुमति देकर एक ही झटके में दुकानें दोगुनी कर दी हैं। कांग्रेस सरकार में 2003 में 581 दुकानें थीं।
भाजपा के राज में यह बढ़कर साढ़े तीन हजार हो गईं। अवैध शराब को रोकने का प्रबंध करने की जगह घर-घर में रखने की इजाजत दे दी। अब ड्राय डे हो या फिर चुनाव, शराब भरपूर मिलेगी।
दुकान, मकान, एयरपोर्ट से लेकर ऐसा कोई स्थान नहीं छोड़ा, जहां शराब की उपलब्धता सुनिश्चित न हो। इस नीति से न सिर्फ महिलाओं से संबंधित अपराध बढ़ेंगे बल्कि नशे को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
कांग्रेस ने आबकारी नीति को लेकर सर्वे कराया। इसमें 31 प्रतिशत व्यक्तियों ने माना कि नीति इसकी पक्षधर है कि लोग ज्यादा शराब पीएं। 45 प्रतिशत का मानना है कि महिलाओं पर अत्याचार बढ़ेगा और समाज पर बुरा असर पड़ेगा।
शत प्रतिशत व्यक्तियों ने कहा कि अपराध बढ़ेंगे। कांग्रेस पार्टी इस नीति का विरोध करती है और वृहद स्तर पर जन जागरण कार्यक्रम चलाकर सरकार की असलियत उजागर करेगी।