बता दे कि 2006-08 में नियुक्त हुए कर्मचारी ने 2018-20 तक 12 साल की सेवा पूरी कर ली है। जिसके बाद उन्हें प्रमोशन का लाभ मिलना था। हालांकि प्रमोशन के लिए पुराने नियम मामले को अटका रहे हैं। इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग का कहना है कि नियमों की माने तो नियोक्ता कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ दे सकता है। जिसके बाद व्याख्याकर्ता की नियुक्ति लोक शिक्षण, उच्च श्रेणी शिक्षकों की संभागीय संयुक्त संचालक और सहायक शिक्षक की नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की जाती है।
बता दें कि इससे पहले 20 जून 2019 को इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा लोक शिक्षण संचनालय से मार्गदर्शन मांगा गया था। जिसके बाद शासन स्तर से नवीन शैक्षणिक संवर्ग की सेवा शर्ते जारी होने के बाद प्रमोशन के प्रकरण के निराकरण के आश्वासन मिले थे। हालांकि अब तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इधर राज्य सरकार की तरफ से क्रमोन्नति अटक जाने के बाद समयमान देने की व्यवस्था भी लागू कर दी गई है। जिसके बाद यदि विभाग द्वारा शिक्षकों को प्रमोशन दिया जाता है तो उनकी सेवा अवधि की गणना 12 साल के आधार पर की जाएगी जबकि यदि विभाग द्वारा शिक्षकों को समयमान दिया जाएगा तो उनकी देना 10 साल के सेवाकाल पर होगी। इसके अलावा लोक शिक्षण संचनालय द्वारा मार्च 2021 में कर्मचारियों की क्रमोन्नति और समयमान का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा गया था।
जिसके बाद अगस्त 2021 में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा के कार्यालय से यह आदेश वापस आयुक्त लोक शिक्षण को भेज दिया गया था। हालांकि अभी नोटशीट वित्त विभाग को भेजी गई है। इस मामले में पुराने नियम में मूल नियमों का संशोधन कर उच्च माध्यमिक शिक्षक के प्रमोशन के अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक और माध्यमिक शिक्षा के अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी को देने के लिए नोटशीट थमा दी गई है। हालांकि जनजाति कार्य विभाग के कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ मिल रहा है।
ऐसे में जहां 50,000 से अधिक शिक्षक उन्नति की राह देख रहे हैं। नोटशीट और फाइलों का एक विभाग से दूसरे विभाग की ओर घूमना निश्चित शिक्षकों के इंतजार को बढ़ा रहा है। अब इस मामले में कब तक विभाग क्रमोन्नति के लिए नियम तय कर पाता है। यह तो वक्त ही बताएगा।