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म.प्र. की मेडिकल यूनिवर्सिटी में हुआ पास – फेल का खेल

माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक कंपनी को किया टर्मिनेट और ब्लैकलिस्ट, एग्जाम कंट्रोलर व उप कुलसचिव की प्रतिनियुक्ति वापस ली, गोपनीय विभाग का बाबू निलंबित, कई नर्सिंग कॉलेज संचालक की होगी जांच.

MP Education News. मामला मध्यप्रदेश के एक मात्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर में पास-फेल करने का है इस मामले में सोमवार 5 जुलाई को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। आखिरकार रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंडलाॅजिक्स इंफ्राटेक को टर्मिनेट कर दिया गया। साथ ही एजेंसी को ब्लैक लिस्ट किया गया ताकि आने वाले भविष्य में एजेंसी देश के किसी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़कर ऐसा कार्य न करें और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना करें। 

 बता दें कि परीक्षा लेने एवं रिजल्ट बनाने वाली एजेंसी माइंडलॉजिक्स इंफ्रा टेक लिमिटेड एवं मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर का अनुबंध 16 जुलाई 2018 में हुआ था। एजेंसी पर हुई एफआईआर के दौरान जांच में एजेंसी की अनियमितताएं सामने आई तथा एजेंसी का भ्रष्टाचार में लिप्त होना एवं लाखों बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना पाया गया। गौरतलब है कि एजेंसी के पास विश्वविद्यालय से जुड़े उन सभी बच्चों का डाटा मौजूद है जिसमें बच्चों के नाम, पता, आधार कार्ड डिटेल्स, डेट ऑफ बर्थ, मोबाइल नम्बर, ब्लड ग्रुप सहित कई अन्य निजी जानकारियां मौजूद थी। विश्वविद्यालय द्वारा कई बार एजेंसी से उन सभी बच्चों का डाटा मांगा गया जो विश्वविद्यालय से जुड़े हैं लेकिन एक बार भी एजेंसी ने वह डाटा विश्वविद्यालय को नहीं भेजा। अंततः एजेंसी पर कार्रवाई की गई | गोपनीय विभाग के बाबू नीलेश जायसवाल को निलंबित कर दिया गया। जांच में घिरी इंदौर मेडिकल कॉलेज से प्रतिनियुक्ति पर आईं एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना की प्रतिनियुक्ति सेवा समाप्त कर दी गई। वहीं उपकुलसचिव(अतिरिक्त प्रभार) डॉ. तृप्ति गुप्ता को भी उनके मूल विभाग में वापस कर दिया गया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देशों पर विवि में कराई गई जांच में परीक्षा और गोपनीय विभाग की धांधली उजागर हुई थी। सूत्रों के अनुसार कई नर्सिंग कॉलेज संचालकों की मिलीभगत सामने आई है. 

मेडिकल विश्वविद्यालय में परीक्षा गड़बड़ियों को लेकर की गई कार्रवाई के साथ प्रशासनिक प्रभार में भी बदलाव किया गया। एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना को हटाए जाने के बाद उप कुल सचिव प्रो. वीवी सिंह को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया है। कुछ दिन पहले ही कुलपति डॉक्टर टीएन दुबे ने परीक्षा नियंत्रक के पर कतरते हुए प्रो. वीवी सिंह को परीक्षा एवं गोपनीय विभाग में अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। इस फेरबदल में विवि में उपकुलसचिव (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. तृप्ति गुप्ता की प्रतिनियुक्ति पर ली गई सेवा भी चिकित्सा शिक्षा विभाग को वापस कर दी गई है।

परीक्षा में बड़ी धांधली आई थी सामने, पास-फेल का हुआ था खेल

मेडिकल विवि में रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक ने साफ्टवेयर में बदलाव कर एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना और गोपनीय विभाग के बाबू नीलेश जायसवाल के निजी मेल अंक भेजे थे। उनके कहने पर छात्रों के अंक में बदलाव किए गए। कोविड के चलते एग्जाम कंट्रोलर अवकाश पर रहीं, तब भी उनके निजी मेल पर परीक्षा परिणाम भेजे गए और उनमें बदलाव किए गए। कई ऐसे छात्रों को पास कर दिए, जो फेल थे। वहीं परीक्षा में न शामिल होने वाले भी कुछ छात्र पास कर दिए गए।
ऐसे हुआ परीक्षा परिणामों में धांधली का खुलासा
अप्रैल में कोरोना संक्रमित होने पर प्रभारी एग्जाम कंट्रोलर डॉ. वृंदा सक्सेना अवकाश पर थीं। तब अन्य अधिकारी को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया, लेकिन अवकाश पर रहते हुए परीक्षा नियंत्रक ने डेंटल और नर्सिंग पाठ्यक्रम के प्रैक्टिकल परीक्षा के अंकों में बदलाव के लिए माइंडलॉजिक्स कंपनी को ई-मेल किया। यही नंबर कंपनी के असिस्टेंट मैनेजर सुधीर शर्मा ने पोर्टल में दर्ज किए। अंकों में परिवर्तन से पूर्व कंपनी ने न तो तत्कालीन प्रभारी परीक्षा नियंत्रक और न ही कुलपति से अनुमोदन प्राप्त किया। इसी शिकायत पर कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने जांच की तो निजी कंपनी की परीक्षा परिणाम की प्रक्रिया में कई गड़बड़ी उजागर हुई।

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परीक्षा नियंत्रक की संलिप्तता आई सामने
इस मामले में गठित जांच समिति ने माइंडलॉजिक्स कंपनी के सिस्टम की जांच के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से 3 आईटी विशेषज्ञ बुलवाए। इन विशेषज्ञों को जांच में सहयोग के लिए परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना को निर्देश दिए गए, लेकिन वे सरकारी कार्य का हवाला देकर भोपाल चली गईं। जांच समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि नियंत्रक ने आईटी विशेषज्ञों को कंपनी से आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और न ही अपना प्रभार किसी को सौंपा।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दिए थे जांच के निर्देश
छात्र नेताओं ने इस मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिलकर, व्यापमं की तर्ज पर परीक्षा घोटाला का आरोप लगाया था। आरोपों में कहा गया कि एमयू से परीक्षा को लेकर अनुबंधित कंपनी माइंडलॉजिक्स कंपनी ने पास-फेल का खेल रचा है। आश्चर्यजनक तरीके से उपस्थित छात्र फेल और अनुपस्थित पास हो गए। मार्क्स एंट्री पोर्टल में नंबर में भी फेरबदल किया गया। इस पर मंत्री सारंग ने दो जून को जांच के निर्देश दिए थे। मामले में विवि के कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता, वित्त नियंत्रक आरएस डेकाटे और लेखाधिकारी राकेश चौधरी के साथ भोपाल से तीन तकनीकी विशेषज्ञों को जांच समिति में नामित किया गया था।

रिपोर्ट में इन बिंदुओं पर धांधली की हुई थी पुष्टि

  • जांच के दौरान सरकारी कार्य पर भोपाल जाने का आदेश परीक्षा नियंत्रक ने समिति के सामने पेश नहीं किया।
  • कॉलेजों के साथ सांठगांठ कर अंकों में फेरबदल की मौखिक शिकायत समिति को मिली है।
  • परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले ही एक कर्मी के पास रिजल्ट का ब्योरा आने से गोपनीयता भंग हुई।
  • कर्मचारी के खिलाफ एक पेमेंट ऐप पर छात्रों से रुपए मांगने की मौखिक शिकायत समिति को मिली।
  • परीक्षा विभाग के एक आउटसोर्स कर्मी के खाते में ई-वॉलेट के माध्यम से पैसे भेजे जाने की शिकायत मिली।

जांच रिपोर्ट पर हटाई गईं एग्जाम कंट्रोलर 24 घंटे में हो गई थी बहाल
इस मामले की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कुलपति के आदेश पर कुलसचिव ने 18 जून को एग्जाम कंट्रोलर डाॅक्टर वृंदा सक्सेना को पद से हटा दिया था। पर भोपाल के एक अधिकारी के दबाव और कुछ राजनीतिक दखअंदाजी के चलते कुलपति को अपने आदेश 24 घंटे में बदलने पड़ गए थे। इसे लेकर कुलपति की काफी किरकिरी भी हुई थी। पर सोमवार को हुई इस कार्रवाई ने विश्वविद्यालय से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा दिया है।

कई कॉलेज संचालकों की भूमिका संदिग्ध 

सूत्रों के अनुसार पास फेल के इस खेल में ग्वालियर, गुना, भिंड, इंदौर, बड़वानी, भोपाल के कुछ कॉलेज संचालकों की भूमिका की जांच की जा रही है जिनकी मदद से यह खेल होता था. प्रायोगिक परीक्षा के नंबर और पास फेल की सेटिंग की कुछ रिकॉर्डिंग भी सामने आने की चर्चा है. वहीँ छात्र नेता विजेश पटेल का कहना है की हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे कॉलेज संचालकों के खिलाफ जांच के लिए हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.  

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