इंदौर। अब खासकर नक्शा स्वीकृत कराने से लेकर मकान बनाने और कॉलोनी विकसित करने के मामले में अलग से शुल्क नगर निगम को चुकाना होगा जो कि बहुत अधिक होने के साथ ही परेशानी भी लगातार सामने है। एक तो पहले से ही काम धंधा से लोग पिछड़ रहे हैं। वहीं एक नए शुल्क लागू होने से अब मकान बनाना महंगा हो गया है। इसको लेकर अभी कोई खास विरोध तो शुरू नहीं हुआ है लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि इसका विरोध भी होगा।
मिली जानकारी के अनुसार इस तरह की गाइडलाइन के तहत यह पहले तय हो चुका था लेकिन अभी हाल ही में इसे निगम द्वारा लागू कर दिया गया है। अब शहर में विकसित होने वाली कॉलोनी और बनाए जाने वाले भवन पर एक नया शुल्क लगाया जा रहा है जिसमें केंद्र सरकार द्वारा गाइडलाइन जारी की गई है। निगम द्वारा हाल ही में यह गाइडलाइन प्रोटोकाल एक तरफ से जारी किया गया जिसके अंतर्गत निर्माण एवं अपशिष्ट का भी निष्पादन इसमें समाहित किया गया है। यह सब इसलिए किया गया है कि विध्वंस अपशिष्ट का 1 नियम 2016 के अनुपालन में निर्माण एवं विशिष्ट का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए देवगुराडिया स्थित ग्राउंड पर एक अलग से प्लांट स्थापित किया गया है । बताया जाता है कि इसी क्रम में प्रशासक पवन शर्मा द्वारा नगर पालिक निगम के संकल्प क्रमांक 11 दिनांक 17 -9- 2020 से निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट के उचित डिस्पोजल हेतु नगरीय सीमा क्षेत्र में निर्माण एवं उत्पादनकर्ता वह चाहे शासकीय, अशासकीय हो या फिर निजी हो सभी से परिवहन शुल्क वसूले जाने की व्यवस्था की है ।
अभी हाल ही में यह भी आदेश जारी किया गया है कि क्षेत्र में निर्मित होने वाले भवनों का भवन अनुज्ञा जारी करने के साथ ही प्रस्तावित बिल्ट अप एरिया रुपए प्रति वर्गमीटर के निर्माण एवं विशिष्ट अदा करना होगा । इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में विकसित की जाने वाली कालोनियों के कॉलोनी विकास के दौरान पैदा होने वाले वेस्ट को देवगुराडिया स्थित डिस्पोजल साइट पहन कर भेजना होगा एवं ₹400 प्रति मेट्रिक टन के मान से अदा करना होगा।
अब देखा जाए तो पहले ही लोगों के पास काम धंधा नहीं है और आर्थिक स्थिति के साथ ही परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल साबित होता जा रहा है और ऐसे में अब अतिरिक्त शुल्क नक्शा स्वीकृति के साथ ही निगम को भूखंडधारी या मकान मालिक को चुकाना होगा। इसके साथ ही यदि पुराना मकान तोड़ा जाता है तो उसके शुल्क भी अलग से निगम को अदा करना होगा । अब इस तरह की परेशानी से लोग फिर से रूबरू होने जा रहे हैं ।यह भी कहा जा रहा है कि इसमें शुल्क अलग से लगने जा रहा है और शुल्क नहीं चुकाने पर पेनल्टी बड़े पैमाने पर होगी तो अधिकतम ₹1 लाख तक की पेनल्टी भी ली जा सकती है ऐसे में मकान बनाना और महंगा हो गया है तो दूसरी ओर कॉलोनाइजर भी परेशान होते जा रहे हैं इस मामले को लेकर अधिकारी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है लेकिन यह शुल्क बिल्डिंग परमिशन शाखा में लागू हो चुका है जो अभी नए नक्शे स्वीकृति के लिए आ रहे हैं उनसे शुल्क भी लिया जा रहा है। अब इस तरह के अतिरिक्त शुल्क को लेकर फिलहाल कोई विरोध नहीं कर रहा है क्योंकि कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं है तो दूसरी और अब कानूनी एवं मकान बनाने पर ही यह शुल्क निगम को देना होगा इसलिए अतिरिक्त शुल्क से मकान बनाना और महंगा साबित होता जा रहा है।
इस मामले को लेकर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल से चर्चा का प्रयास किया परंतु उनके द्वारा फोन ही रिसीव नहीं किया गया है।