एनआईओएस अपने अध्ययन केंद्रों से 10 किलोमीटर की दूरी के भीतर ही परीक्षा केंद्र तय करे – सुप्रीम कोर्ट

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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Education News. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग को निर्देश दिया है कि वह अपने मान्यता प्राप्त संस्थानों से 10 किलोमीटर की दूरी के भीतर ही परीक्षा केंद्र तय करें, ताकि छात्र निश्चित रूप से और आसानी से परीक्षा में शामिल हो सकें।
जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि खुली स्कूली शिक्षा का सहारा लेने वाले छात्रों की एक बड़ी संख्या हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों से आती है। शीर्ष अदालत मंगलवार को एनआईओएस से मान्यता प्राप्त संस्थान द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में एनआईओएस को ओपन स्कूल छात्रों के लिए उनके अध्ययन केंद्रों से न्यूनतम दूरी पर परीक्षा केंद्र तय करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इनमें से अधिकांश छात्र समाज के गरीब तबके से आते हैं, जो कि अविश्वसनीय रूप से सार्वजनिक परिवहन के साधनों पर निर्भर हैं। इन सभी के लिए पढ़ाई की संभावना अपनी आजीविका के लिए है। ऐसे छात्रों के लिए दुर्गम और दूर-दराज के परीक्षा केंद्र बनाने के दुष्परिणामों की कल्पना करना मुश्किल है।
कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक परीक्षा के लिए लंबी दूरी की यात्रा करने में असमर्थता का परिणाम केवल छात्र द्वारा परीक्षा छोड़ने के तौर पर होगा, जो आज देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

पीठ ने कहा यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि नई शिक्षा नीति, 2020 के अध्याय-6 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से वंचित समूहों के लिए ग्रुप वॉक, साइकिल के प्रावधान आदि के माध्यम से उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए और संस्थान तथा परीक्षा केंद्रों की दूरी को कम करने पर जोर दिया गया है। पीठ ने कहा कि एनआईओएस मान्यता प्राप्त संस्थानों से 10 किलोमीटर की दूरी के भीतर परीक्षा केंद्रों को निर्धारित करने का प्रयास करे।

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि एनआईओएस का यह कर्तव्य है कि वह परीक्षा केंद्रों को इस तरह से तय करे कि छात्र निश्चित रूप से और आसानी से परीक्षा में शामिल हो सकें। एनआईओएस परीक्षा देने के लिए छात्रों से गांवों और कस्बों से लंबी दूरी तय कराने की अपेक्षा अतिरिक्त केंद्र बना दिए जाए।

हम इस तथ्य से अवगत हैं कि परीक्षा केंद्रों को ठीक करना एक संवेदनशील कर्तव्य है, जिसमें सुरक्षा और निरंतर निगरानी शामिल है। हम इस तथ्य से भी अवगत हैं कि परीक्षाओं के संचालन में ईमानदारी शिक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसके लिए हर कदम उठाया जाना चाहिए। इसके साथ ही, बेंच ने कहा कि एनआईओएस को परीक्षा केंद्र बनने की पेशकश करने वाले आवेदन को पहचानने, स्वीकार करने या अस्वीकार करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।