देश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए अब PhD आवश्यक नहीं – यूजीसी

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूजीसी नए और विशेष पदों को बनाने की भी योजना बना रहा है. इसके तहत शिक्षकों को पढ़ाने के लिए पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी. यूजीसी की तरफ से यह फैसला इसलिए गया है, ताकि टीचिंग फील्ड में एक्सपर्ट छात्रों के साथ अपना नॉलेज शेयर कर सकें. 
Education News.   प्रोफेसर बनने के लिए सोच रहे युवाओं के लिए बड़ी खबर है. देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी.
यूजीसी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए अब पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म करने का निर्णय लिया है.
आयोग के इस फैसले के बाद, उन तमाम अभ्यर्थियों को मौका मिल सकेगा, जो टीचिंग फील्ड में बेहतर अनुभव रखते हैं, लेकिन सिर्फ डिग्री नहीं होने के चलते वे यूनिवर्सिटी में पढ़ा नहीं सकते.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूजीसी नए और विशेष पदों को बनाने की भी योजना बना रहा है. इसके तहत शिक्षकों को पढ़ाने के लिए पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी.
यूजीसी की तरफ से यह फैसला इसलिए गया है, ताकि टीचिंग फील्ड में एक्सपर्ट छात्रों के साथ अपना नॉलेज शेयर कर सकें.
यूजीसी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए भर्ती मानदंडों में सुधार के उद्देश्य से सरकार इस फील्ड के प्रोफेशनल्स और इंड्रस्टी एक्सपर्ट की नियुक्ति के लिए ‘प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के रूप में नियुक्ति के लिए एक प्रावधान लाने पर विचार कर रही है.
आपको बता दें कि अभी तक केंद्रीय विवि में पढ़ाने के लिए पीएचडी अनिवार्य थी. हालांकि, राज्य विवि में पढ़ाने के लिए पीएचडी अनिवार्य होगी या नहीं, इसको लेकर यूजीसी की तरफ से अभी जानकारी नहीं शेयर की गई है.
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।