डबल स्टैंडर्ड्स की राजनीति: सोनिया गांधी से कुछ सच्चे सवाल

Dharmendra vatsa
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Me ek rashtra ko Samarprit sevak hun jiwan ke Kai aayam me jita hun rastra ke liye apana kuch arpan Trahan and Samarpan karne ki koshish...
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धर्मेंद्र वत्स  (विचारक/ लेखक)

आदरणीय सोनिया जी, आपने अपने लेख में भारत के रुख पर सवाल उठाए हैं, लेकिन इससे पहले कुछ अहम प्रश्नों का उत्तर देना आपका नैतिक दायित्व है।

जब आपकी सरकार ने सद्दाम हुसैन का समर्थन किया था, तब 2003 में जब अमेरिका ने सद्दाम को पकड़कर मुकदमा चलाया और फांसी दी, तब आपने अमेरिका का विरोध क्यों नहीं किया? तब तो कांग्रेस पूरी तरह चुप थी। क्यों?

‘ऑयल फॉर फूड’ घोटाले की जांच रिपोर्ट (2003-2006) के अनुसार यह सामने आ चुका है कि कांग्रेस के कई नेता, जिनमें तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह शामिल थे, सद्दाम से रिश्वत के रूप में तेल खरीदने के कूपन लेते थे। यही नहीं, जब नटवर सिंह जी ने अपनी आत्मकथा लिखने की योजना बनाई, तो आप स्वयं उनके घर जाकर माफी मांगने गईं और उनसे वादा लिया कि वह इस रिपोर्ट का जिक्र आत्मकथा में नहीं करेंगे, और उन्होंने वास्तव में इसका जिक्र नहीं किया। आखिर आपने माफी क्यों मांगी थी? क्या आप डरती थीं कि सच सामने आ जाएगा?

जब सद्दाम को फांसी दी गई, तब आपने उसकी ओरदलीफाई में एक शब्द भी क्यों नहीं कहा? कांग्रेस पार्टी, जो एक समय सद्दाम के समर्थन में थी, अचानक क्यों खामोश हो गई?

अब आप ईरान के पक्ष में बयान दे रही हैं। किंतु क्या आपने देखा है कि जिस ईरान की आप बात कर रही हैं, वहां की मूल पारसी सभ्यता को ज़ेहादी ताकतों ने कैसे कुचल डाला? पचास साल पहले का ईरान और आज का ईरान देख लीजिए – वहां महिलाओं पर अत्याचार, धार्मिक कट्टरता और मानवाधिकार हनन का वीभत्स चेहरा साफ दिखाई देता है।

महज ढाई साल पहले इसी खुमैनी सरकार ने बुर्का न पहनने और दाढ़ी न रखने के आरोप में कई महिलाओं को फांसी पर चढ़ा दिया था। समलैंगिक युवकों को भी जिंदा लटकाकर मारा गया तब आपने और आपकी पार्टी ने एक शब्द भी विरोध में क्यों नहीं कहा?

सच यह है कि आपकी राजनीति सिर्फ अवसरवादी और दोहरे मापदंडों पर आधारित है। जब मामला वोट बैंक का होता है, तब आप कुछ और बोलती हैं, और जब अंतरराष्ट्रीय राजनीति में जवाब देने की बारी आती है, तब चुप्पी साध लेती हैं।

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Me ek rashtra ko Samarprit sevak hun jiwan ke Kai aayam me jita hun rastra ke liye apana kuch arpan Trahan and Samarpan karne ki koshish he Jan Jagran se badkar kuch nahi he