यह व्रत कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना से करती हैं और विवाहित महिलाएं इस दिन अपने सुहाग की लंबी आयु और बुद्धिमान संतान पाने की इच्छा से यह व्रत रखती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को महिलाओं द्वारा यह व्रत एक उत्सव रूप में मनाया जाता है।
कैसे करें पूजन
रंभा तीज के दिन यानी ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन प्रात: दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
भगवान सूर्य देव के लिए दीपक प्रज्वलित करें।
इस दिन अप्सरा रंभा की पूजा भी की जाती है।
इस दिन विवाहित स्त्रियां पूजन में गेहूं, अनाज और फूल से लक्ष्मी जी की पूजा करती हैं।
लक्ष्मी जी तथा माता सती को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाता है।
कई स्थानों पर विवाहित स्त्रियां चूड़ियों के जोड़े की पूजा करती हैं, जिसे रंभा (अप्सरा) और देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
रंभा तृतीया का व्रत शिव-पार्वती जी की कृपा, श्री गणेश जी जैसी बुद्धिमान संतान और सुहाग की रक्षा के लिए यह व्रत किया जाता है।
पूजन के समय ॐ महाकाल्यै नम:, ॐ महालक्ष्म्यै नम:, ॐ महासरस्वत्यै नम: आदि मंत्रों का किया जाता है।
रंभा तीज व्रत जिस घर में किया जाता है, वहां सुख-समृद्धि, शांति, सुंदरता, पति को लंबी उम्र और मनोकामना पूर्ण होती है।

 
			 
				 
			 
                                
                             
 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		 
		