“Police was when aware that Nathuram godse is going to kill Gandhi then why police was not taking any action”
कांग्रेस ने हमेशा इतिहास को छुपाया है
हमारे देश में गांधी जी को कोई इज्जत नहीं मिलती, नोट और छुट्टियों के अलावा कौन पूछता है
हिंदू मुसलमान एक दूसरे को मार रहे थे और जैसे ही गांधी जी मरे शांति हो गई
फिल्म दिखाती है पुलिस का एंगल
डॉ. देवेन्द्र
Indore News – गांधी जयंती को गुजरे कुछ ही दिन हुए हैं और अचानक से सोशल मीडिया पर एक मूवी का ट्रेलर वायरल हो रहा है जिसका नाम है द गांधी मर्डर...
इस फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाने वाले विकास श्रीवास्तव ने पिछले दिनों एक विडियो साझा किया जिसमे उन्होंने लोगों से जी फाइव पर स्ट्रीम हो रही इस फिल्म को देखने की अपील की है। इस फिल्म का ट्रेलर यूट्यूब पर खूब फालो किया जा रहा है।
करीब तीन करोड़ से अधिक दर्शकों ने इस ट्रेलर को देखा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या जवाहर लाल नेहरू को पता था कि गोडसे गांधी को मारेगा? पुलिस को पता था कि गोडसे की तैयारी क्या है, उसके पास गन कौन सी है। वह कौन से होटल में रुका है। इसके बावजूद सभी ने गांधी को क्यों मरने दिया।
उन्होंने द गांधी मर्डर को भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी फिल्म बताते हुए इसे देखने के लिए कहा है। द गांधी मर्डर फिल्म में 30 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या के आसपास के मिथक को तोड़ा गया है। इसमें दिखाया गया है कि 20 जनवरी को गोडसे के साथी मदनलाल की गिरफ्तारी के साथ पुलिस को पता चल गया था कि गांधी जी की हत्या की साजिश का खुलासा कर दिया था। मामले में विशेष न्यायाधीश आत्मा चरण अग्रवाल ने टिप्पणी की थी कि अगर पुलिस उपलब्ध खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करती तो शायद यह त्रासदी कभी नहीं होती।
विकास श्रीवास्तव बिहार के पटना के रहने वाले हैं, शुरू में रंगमंच से जुड़ने के बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया। जहां उन्होंने 15 से अधिक भाषाओं में फिल्में की हैं। बॉलीवुड के अलावा उन्होंने हालीवुड में भी कई हिट फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है।इस फिल्म से जुड़े मिथक को तोड़ने के लिए उन्होंने खास बातचीत की सद्भावना पाती के प्रधान संपादक डॉ देवेन्द्र से और अपने हिस्से का सच रखा.
इंटरव्यू के प्रमुख अंश
डॉ देवेन्द्र-आपकी फिल्म द गाँधी मर्डर में कुछ जानकारी दीजिए.
विकास– ‘द गांधी मर्डर’ एक हॉलीवुड फिल्म है जो हमने तीन चार साल पहले शुरू की थी श्रीलंका में, इस फिल्म में अवतार 1 और अवतार 2 में जो विलेन है स्टीफन लेंग वे डीआईजी रैना का रोल कर रहे हैं और मैं नाथूराम गोडसे के रोल में हूं. इस फिल्म में और बाकी इंडियन एक्टर्स और भी 36 देशों के अभिनेता हैं, फिल्म 2 साल पहले हॉलीवुड में रिलीज की गई थी 46 देशों में . श्रीलंका में शूट की फिल्म क्योंकि हम डिस्टरबेंस नहीं चाहते थे कि इंडिया वालों को पता लगे कि हम ये फिल्म बना रहे हैं और श्रीलंका जो है पुराना इंडिया दिखता है तो यह रीजन था तो फाइनली यह फिल्म जी 5 पर आ गई है.
डॉ देवेन्द्र- तो आपकी फिल्म की यह थीम है कि नेहरू जी को सब पता था गांधीजी के मर्डर के बारे में
विकास– देखिए अगर यह मूवी आपने देखी है तो आप यह कह सकते हैं बिल्कुल, दरअसल क्या है यह फिल्म पुलिस का एंगल दिखाती है कि उस समय पुलिस ने क्या किया था, मैं एग्जांपल देता हूं तो शायद यह बात आपको, आपके दर्शकों को, आपके रीडर्स को समझ में आ जाएगी माननीय राष्ट्रपति मुर्मू जी हैं अगर उन पर 10 दिन पहले एक बम फेंक दिया जाता है बंदा पकड़ लिया जाता है, तो मोदी जी तो पूछेंगे ना कि राष्ट्रपति पर बम किसने फेंका था? क्या बोला है उसने?और वहां का डीआईजी जब मोदी जी को यह बताएगा कि यह फला फला आदमी है, इसमें बम फेंक दिया है
उसने बताया कि नाथूराम गोडसे नाम का एक आदमी आ रहा है राष्ट्रपिता मारने और भी लोग हैं जो सौराष्ट्र से हैं, महाराष्ट्र से हैं . उसका कहना था कि राष्ट्रपिता तो मरेंगें , आप ने मुझे पकड़ लिया है यह अलग बात है पर आप उन्हें नहीं बचा पाएंगे.
यह हमारे सवाल खड़ा करती है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्हें पूरा देश प्यार करता था, जिन्होंने आजादी के लिए अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया उन्हें 10 दिन बाद नाथूराम गोडसे गोली मार देता है जबकि 10 दिन पहले से सबको पता था और ये डॉक्यूमेंट में है, पटेल साहब को पता था….
डॉ. देवेन्द्र– ऐसे एविडेंस हैं आपके पास?
विकास– बिल्कुल एविडेंस हैं, यह कोर्ट में यह प्रूफ हुई है कि पुलिस को पता था डीआईजी रैना यह बात जानते थे. आत्मा चरण जो जज है हमारी फिल्म वहीं से शुरू होती है जज का जजमेंट लिखा जा रहा है और पहली लाइन यही है
” Police was when aware that Nathuram godse is going to kill Gandhi, then why police was not taking any action”
तो यह बहुत क्लियर सी बात थी कि के गोडसे गांधी को मारने जा रहा है यह बात पुलिस को पता थी तो फिर पुलिस ने क्या किया और कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया, और क्यों गांधीजी को मरने दिया गया अब उसके पीछे रीजन है कि हमारा पार्टीशन का एग्रीमेंट हुआ था जिसमें 75 करोड पाकिस्तान को देने थे, 20 करोड़ हमने दे दिए थे उन 20 करोड़ से मुसलमानों ने हिंदू लोगों को काटना शुरू कर दिया था, नेहरू साहब का यह कहना था कि मैं 55 करोड नहीं दूंगा जो उखाड़ना है उखाड़ लो, लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन जिसने भारत-पाकिस्तान का पार्टीशन एग्रीमेंट साइन करवाया था उसने कहा, गांधीजी हमने आपके कहने पर यह पार्टीशन तो किया है, आपकी अनुमति से, लेकिन अब यह एग्रीमेंट में है कि आपको तो इतने पैसे देने पड़ेगे वह मारे काटे जो करें वह आपका लुकआउट नहीं है. तो गांधीजी ने जब इस बात को नेहरू से कहा तो नेहरू ने कह दिया, कि नहीं कांग्रेस नहीं देगी पैसे. तो गांधीजी को आखिरी उपवास पर बैठना पड़ा, कांग्रेस के खिलाफ तब जाकर नेहरू जी और पटेल साहब घबरा गए. उनके मन में यह था कि हमारी इज्जत चली जाएगी, पार्टी खत्म हो जाएगी, देश में गांधीजी से नेहरू जी बने हुए हैं तो नेहरू जी ने कहा हम देंगे 55 करोड़. लेकिन विवाद यहां शुरू हुआ जब गांधी जी ने कहा कि यह उपवास मैं तब वापस लूंगा जब हिंदुस्तान में हिंदू मुसलमान एक साथ रहेंगे, तो यह किसी भी मर्डर में मोटिवेशन होता है. सबसे बड़ा मोटिवेशन क्या हो सकता है कि*एक आदमी पूरी पार्टी को खत्म कर देगा और वह आदमी हीरो है लोगों का*
डॉ देवेन्द्र- मतलब आप की कहानी की पूरी थीम यह है कि नेहरू जी को पता था
विकास– बिल्कुल पुलिस को पता था, हमने नेहरू जी को इस तरीके से नहीं दिखाया है जिस तरह से आप कह रहे हैं. लेकिन फिल्म जब आप देखेंगे कि हंड्रेड परसेंट है कि नेहरू जी को पता था.
डॉ देवेन्द्र- विकास जी एक तरफ राहुल जी की यात्रा चल रही है देश में और यहां पर इस समय में इस फिल्म का एकदम से वायरल हो जाना यह क्या इंडिकेट करता है?
विकास– यह इंडिकेशन कुछ नहीं है यह बहुत अच्छी बात है, यह अच्छे दिन हैं कि आदरणीय माननीय मोदी जी हैं तो इस तरह की फिल्म भी आ सकती है कश्मीर फाइल्स भी आ सकती है, वरना कांग्रेस ने हमेशा इतिहास को छुपाया है.
डॉ देवेन्द्र- चुनाव में ज्यादा देर नहीं है एक डेढ़ साल का समय बचा हुआ है और इस तरह की फिल्मों का आना विकास जी एक पक्षीय विचारधारा को बढ़ावा नही है?
विकास– बिल्कुल अच्छी विचारधारा पर काम नहीं चल रहा है आपके पिताजी को मार दिया जाए और जिस ने मारा है, वह जिसने मरवाया है पता न चले तो…
डॉ देवेन्द्र- 60-70 साल बाद इन बातों के क्या मायने हैं ?
विकास– 60-70 साल बाद तो हम इंडियन बने हैं, आदरणीय मोदी जी के आने के बाद तो हमें हिम्मत मिली है, इतिहास को बदलने की, इतिहास को समझाने की, हम कोई झूठ थोड़ी बोल रहे हैं *सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को पास किया है, हमने 600 पेज के डॉक्यूमेंट दिए गए हैं* यह डॉक्यूमेंटेड फिल्म है, घटना पर आधारित भी नहीं है, यह काल्पनिक फिल्म भी नहीं है, एक एक सीन, एक एक शब्द फिल्म के डाक्यूमेंट्स में हैं.
डॉ देवेन्द्र- विकास जी इसके प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के बारे में जानकारी देंगे
विकास– इसके प्रोड्यूसर दुबई के हैं उनका नाम है पंकज सहगल है और उन्होंने ही इस फिल्म को डायरेक्ट किया है, स्टीफन लैंग बहुत बड़ा नाम है, लेकिन उसमें कहानी सुनते ही 1 दिन में हां बोल दिया क्योंकि अमेरिका में गांधी जी के बहुत दीवाने हैं और इसलिए फिल्म इंग्लिश में बनाई गई क्योंकि *पूरी दुनिया में गांधीजी के दीवाने हैं, लेकिन माफ कीजिएगा हमारे देश में गांधी जी को कोई इज्जत नहीं मिलती है, नोट के अलावा और छुट्टियों के अलावा और कौन पूछता है.
डॉ देवेन्द्र- और कौन कौन है आपके अलावा इस इस मूवी में
विकास– इसमें राजपाल यादव जी हैं जो सरदार का रोल कर रहे हैं, गोविंद नामदेव जी हैं उसके अलावा रजत कपूर हैं, आदरणीय ओमपुरी साहब की यह आखिरी फिल्म है. ल्युक पस्कलिनो जो कि यूके का बहुत बड़ा स्टार है पुलिस ऑफिसर बना हुआ है और इसमें दिखाया गया है कि वह आईजी पुलिस ऑफिसर को कन्वेंस करता है, कि गांधीजी को मरने दो, क्योंकि उसका एक आईडिया था कि अब्राहम लिंकन को जब जॉन बूथ ने मारा था तब अमेरिका में बहुत दंगे चल रहे थे, ब्लैक एंड वाइट से एक दूसरे को मार रहे थे, और जैसे ही लिंकन मरा शांति हो गई. ठीक उसी प्रकार भारत-पाकिस्तान का सिविल वॉर चल रहा था.
हिंदू मुसलमान एक दूसरे को मार रहे थे और जैसे ही गांधी जी मरे शांति हो गई क्योंकि इतना बड़ा बम ब्लास्ट होता है तो आदमी शांत हो जाता है लड़ता नहीं, यह उसका आईडिया था उसने चिट्ठी भेजी थी नाथूराम गोडसे को इसमें कहा था दूसरे ऑफिसर को मैं मर जाऊंगा ठीक है लेकिन नाना(गोडसे) को बचा लेना .