प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को जोर का झटका,अब बिजली जलाओ या नहीं लेकिन देने होंगे 125 – 140 रुपये

sadbhawnapaati
3 Min Read

जबलपुर. मध्य प्रदेश के डेढ़ करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को एक और झटका लगने जा रहा है. बिजली की दर में बढ़ोतरी के बाद अब ये नयी मुसीबत है.
बिजली कंपनियां इसी महीने से फिक्स चार्ज और मिनिमम एनर्जी चार्ज भी आम जनता से वसूलने जा रही हैं. इससे जनता पर बिजली खर्च का अच्छा खासा बोझ बढ़ जाएगा.

मध्य प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की जेब कटने वाली है. बिजली कंपनियां इसी महीने से फिक्स चार्ज और मिनिमम एनर्जी चार्ज भी आम जनता से वसूलने की तैयारी कर चुकी हैं.

शहरी उपभोक्ताओं को 69 और ग्रामीण उपभोक्ताओं को 55 रूपये बतौर फिक्स चार्ज देने होंगे.

हाल ही में नियामक आयोग ने टेरिफ ऑर्डर जारी किया है. 300 से अधिक पेज के इस टेरिफ ऑर्डर से धीरे-धीरे उन तमाम बातों का खुलासा हो रहा है जो बिजली उपभोक्ताओं के लिए कहीं ना कहीं बुरी खबर है.

इस टेरिफ ऑर्डर के मुताबिक अब बिजली ना जलाने पर भी कम से कम 125 रुपये से लेकर 140 रुपये उपभोक्ताओं को देने ही होंगे.

न्यूनतम चार्ज के नाम पर शहरी क्षेत्र की जनता पर 69  रुपये जबकि ग्रामीण क्षेत्र की जनता पर 55 रुपये का चार्ज लगाया गया है. इसके साथ ही साथ न्यूनतम एनर्जी चार्ज के रूप में 70 रुपये निर्धारित किए गए हैं.

शहरी पर 139, ग्रामीण पर 125 रुपये का भार

अगर इस आंकड़ेबाजी के विस्तार में जाएं तो शहरी बिजली उपभोक्ता को कम से कम 139 रुपये और ग्रामीण बिजली उपभोक्ता को कम से कम 125 रुपये हर महीने बिजली का बिल देना ही होगा.

इससे साफ है कि बिजली कंपनियां ऊर्जा बचत के लिए नहीं बल्कि ऊर्जा खपत के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही हैं. प्रदेश में महीने भर में एक भी यूनिट खर्च नहीं करने वाले उपभोक्ताओं से कंपनियां अब तक सिर्फ फिक्स चार्ज वसूलती थीं.

जबकि गरीबी रेखा से नीचे वाले उपभोक्ताओं के लिए 30 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर कोई चार्ज नहीं लिया जाता था पर न्यूनतम 45 रुपये निर्धारित था.

अब यही नियम दूसरे घरेलू उपभोक्ताओं पर भी लागू कर दिया गया है. याने कि ऐसे उपभोक्ताओं को न्यूनतम चार्ज के तौर पर 70 रूपये भी देने होंगे.

अपीलेट अथॉरिटी में अपील- 2022-23 के लिए बिजली वृद्धि के प्रस्ताव पर आपत्ति करने वालों में से एक राजेंद्र अग्रवाल अब इस पूरे मसले को लेकर दिल्ली स्थित अपीलेट अथॉरिटी में आवेदन करेंगे.

उनका मानना है कि किसी भी तरह से मिनिमम एनर्जी चार्ज की वसूली उपभोक्ताओं से करना विद्युत अधिनियम की विभिन्न धाराओं के विपरीत है.

Share This Article