हाईकमान ने शिव-वीडी को लगाई फटकार
अब असंतुष्ट नेताओं को मनाएंगे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष, भंवर सिंह शेखावत और सत्यनारायण सत्तन को भोपाल बुलाने की खबर तेजी से वायरल हो रही है
नई दिल्ली/भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे व पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने कांग्रेस में जाने का ऐलान क्या किया भोपाल से लेकर दिल्ली तक कोहराम मच गया। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और संघ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश नेतृत्व को जमकर फटकार लगाई है। भाजपा सूत्रों को कहना है कि भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मप्र भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को फटकार लगाते हुए निर्देश दिया है कि वे दोनों पार्टी के सभी असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं से बात करें और उनकी समस्या का समाधान करें।
मप्र में इनदिनों नई भाजपा और पुरानी भाजपा में घमासान मचा हुआ है। इस कारण मप्र भाजपा में गुटबाजी और बगावत सामने आने लगी है। लेकिन सत्ता और संगठन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। इस कारण असंतुष्ट नेताओं पर दूसरी पार्टी के नेता डोरे डालने लगे हैं। इसी कड़ी में पूर्व मंत्री दीपक जोशी को कांग्रेस में लाने के प्रयास शुरू हो गए हैं। जिसका ऐलान खुद दीपक जोशी ने मंगलवार को किया।
पिछले चुनाव के समय से ही दीपक नाराज चल रहे हैं। उन्होंने चुनाव में जाने से पहले खातेगांव से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने मौजूदा विधायक आशीष शर्मा का टिकट बदलने से मना कर दिया। लिहाजा दीपक को हाटपीपल्या से ही चुनाव लडऩा पड़ा। वे हार गए। इसके बाद संगठन के रुटीन कार्यों से भी उन्हें दूर रखा जाने लगा। सरकार में सुनवाई कम हो गई। यही उनकी नाराजगी की बड़ी वजह बन रही है।
फटकार लगते सक्रिय हुए सीएम-वीडी
दिल्ली में भाजपा सूत्रों ने बताया कि जैसी ही दीपक जोशी के कांग्रेस में जाने की खबर सामने आई आलाकमान और संघ सक्रिय हुए। आलाकमान ने तत्काल मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को फोन लगाया और वस्तु स्थिति का फीडबैक मांगा।
दिल्ली में भाजपा सूत्रों ने बताया कि जैसी ही दीपक जोशी के कांग्रेस में जाने की खबर सामने आई आलाकमान और संघ सक्रिय हुए। आलाकमान ने तत्काल मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को फोन लगाया और वस्तु स्थिति का फीडबैक मांगा।
दोनों नेताओं ने इस पर अनभिज्ञता जाहिर की तो दोनों को फटकार लगाते हुए निर्देश दिए गए कि जल्द से जल्द वे दीपक जोशी से बात करें। साथ ही अन्य उन वरिष्ठ नेताओं से भी चर्चा करने को कहा जो असंतुष्ट चल रहे हैं। बताया जाता है कि आलाकमान से फटकार मिलने के बाद दोनों नेताओं ने दीपक जोशी से बात की। अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने देर शाम कहा कि दीपक भाजपा परिवार के सीनियर साथी हैं।
पिता कैलाश जोशी ने भाजपा को प्रदेश में खड़ा किया है। वे हमारे आदर्श हैं। कभी-कभी छोटी-मोटी बातें हो जाती हैं। मनुष्य हैं। कोई हंड्रेड परसेंट एक्युरेट नहीं होता। दीपक हमारे परिवार के एक अभिन्न अंग हैं। जो भी बातें, पार्टी के भीतर संवाद है, इसलिए सब ठीक है।
6 दिग्गज और पूर्व मंत्री चल रहे नाराज
2020 से अब तक की गतिविधियों की पड़ताल करने पर पता चला कि भाजपा के मिशन-2023 की राह में पार्टी के ही अपने-अपने इलाकों के 6 दिग्गज और पूर्व मंत्री समस्या बनकर खड़े हो सकते हैं। कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया की सीट हो या डॉ. गौरीशंकर शेजवार या दीपक जोशी, अजय विश्नोई, अनूप मिश्रा या रूस्तम सिंह ऐसे कई दिग्गज हैं, जिनकी परंपरागत सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से आए विधायक काबिज हो गए हैं।
2020 से अब तक की गतिविधियों की पड़ताल करने पर पता चला कि भाजपा के मिशन-2023 की राह में पार्टी के ही अपने-अपने इलाकों के 6 दिग्गज और पूर्व मंत्री समस्या बनकर खड़े हो सकते हैं। कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया की सीट हो या डॉ. गौरीशंकर शेजवार या दीपक जोशी, अजय विश्नोई, अनूप मिश्रा या रूस्तम सिंह ऐसे कई दिग्गज हैं, जिनकी परंपरागत सीटों पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से आए विधायक काबिज हो गए हैं।
भाजपा सूत्र बताते हैं कि मौजूदा विधायक होने के कारण अधिकांश पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों को 2023 में टिकट नहीं मिल पाएगा। ऐसे में ये नेता पार्टी के लिए मुसीबत बन सकते हैं। सिंधिया समर्थकों के चलते अपनी पार्टी में पीछे धकेले गए इन नेताओं में कई ऐसे भी हैं, जिनका राजनीतिक भविष्य खतरे में दिखाई पड़ रहा है। सिंधिया और उनके समर्थकों का भाजपा में शामिल होने से सबसे ज्यादा असर ग्वालियर-चंबल की राजनीति पर पड़ा है।
मिश्रा की पहचान ब्राह्मण नेता के तौर पर है। नगर निगम चुनाव के दौरान उस समय भाजपा में अंतर्कलह सामने आई थी, जब भाजपा के संकल्प पत्र के विमोचन के दौरान मंच पर जगह नहीं मिलने पर अनूप मिश्रा नाराज हो गए थे। इसके बाद ब्राह्मण समाज भाजपा के विरोध में उतर आया। उसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा महापौर का चुनाव हार गई। अनूप मिश्रा के चुनाव से पहले ही ताल ठोंकने पर ग्वालियर में आगामी विधानसभा चुनाव में समीकरण गड़बड़ाने वाले हैं, क्योंकि अनूप मिश्रा हमेशा से ग्वालियर पूर्व विधानसभा से चुनाव लड़े और जीते हैं। उनके बाद इस सीट से सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल कांग्रेस से चुनाव जीते।
जब सिंधिया ने प्रदेश सरकार गिराई तो मुन्नालाल ने भी इस्तीफा दिया। उपचुनाव में वह भाजपा से लड़े और चुनाव हार गए। अब अनूप मिश्रा के साथ उनकी भी इस सीट पर दावेदारी होगी। इस सीट के अलावा भितरवार से भी अनूप मिश्रा जोर आजमाइश कर सकते हैं।
पुराने नेताओं की बढ़ेगी पूछ-परख
माना जा रहा है कि आलाकमान से मिली फटकार के बाद भाजपा में पुराने नेताओं की पूछ-परख बढ़े्रगी।कांगे्रसियों के आने से भाजपा के दिग्गज नेताओं को अपना चुनाव क्षेत्र छोडऩा पड़ा और हाशिए पर चले गए। इनमें से कुछ नेताओं को सरकार में मंत्री पद का दर्जा मिल चुका है। जबकि कुछ घर बैठे हैं कुछ पार्टी छोड़ गए है। अब पार्टी चुनाव से पहले इन नेताओं के घर पहुंचेगी और उनकी पूछपरख बढ़ेगी।
माना जा रहा है कि आलाकमान से मिली फटकार के बाद भाजपा में पुराने नेताओं की पूछ-परख बढ़े्रगी।कांगे्रसियों के आने से भाजपा के दिग्गज नेताओं को अपना चुनाव क्षेत्र छोडऩा पड़ा और हाशिए पर चले गए। इनमें से कुछ नेताओं को सरकार में मंत्री पद का दर्जा मिल चुका है। जबकि कुछ घर बैठे हैं कुछ पार्टी छोड़ गए है। अब पार्टी चुनाव से पहले इन नेताओं के घर पहुंचेगी और उनकी पूछपरख बढ़ेगी।
इनमें रुस्तम सिंह मुरैना, शिवमंगल सिंह तोमर दिमनी, राकेश शुक्ला मेहगांव, लाल सिंह आर्य गोहद, जयभान सिंह पवैया ग्वालियर, लड्डूराम कोरी अशोकनगर, ललिता यादव मलेहरा, रामलाल रौतेल अनूपपुर, दीपक जोशी हाटपिपलिया, नरेन्द्र सिंह तोमर मांधाता, भंवर सिंह शेखावत बदनावर और जयंत मलैया दमोह शामिल हैं। इनमें से ललिता यादव (सीट बदलेगी), रामलाल और लाल सिंह को टिकट मिल सकता है। जोशी को भी मौका मिल सकता है। दमोह का टिकट जयंत मलैया की सहमति से तय होगा।
निगम मंडल में नियुक्ति के बाद भी नेपानगर से मंजू दादू, करैरा से रमेश खटीक को फिर टिकट मिल सकता है। 2018 में प्रत्याशी रहे सांची से मुदित शेजवार, सावन सोनकर सांवेर, सुधीर यादव सुरखी, राजकुमार खटीक करैरा, केपी सिंह मुंगावली, राधेश्याम पाटीदार सुवासरा टिकट की दौड़ से बाहर रहेंगे। केपी यादव गुना सांसद हो चुके हैं। उपचुनाव के दौरान शेजवार का विरोध सामने आ चुका है। कांग्रेस से आकर मंत्री पद से नवाजे गए प्रद्युम्न सिंह तोमर, रक्षा संतराम, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, बृजेन्द्र यादव, गोविंद राजपूत, सुरखी, प्रभुराम चौधरी, तुलसीराम सिलावट और हरदीप सिंह डंग को कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस नेताओं के आने से भाजपा के दिग्गज नेताओं को अपना चुनाव क्षेत्र छोडऩा पड़ा है। इनकी पूछ-परख बढ़ेगी।