(लेखक-विनोद तकियावाला)
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में इन दिनों कुछ अच्छा नहीं चल रहा है! भारत राजनीति की दुर्दशा व दिशाविहीन होने से भारतीय राजनीतिज्ञ पंडित निराश है। वैश्विक महामारी कोरोना से अभी देश उभर भी नही पाया था कि सुरसा के मुंह जैसी बेरोजगारी ‘महंगाई व ओछी राजनीति से जनता जनार्दन परेशान है।
आप को याद होगा कि कुछ दिन पहले ही कोरोना के नये वायरस का प्रकोप फिर से दिखने लगा है। कोरोना संक्रमण के केसों में आये दिनो वृद्धि देखने को मिल रही है। इस बाबत प्रधानमंत्री के द्वारा राज्यों की मुख्यमंत्री की बैठक विगत दिनों ऑनलाइन बैठक बुलाई थी।प्रधान मंत्री ने मुख्यमंत्रियों की इस बैठक के दौरान पेट्रोल और डीजल पर वैट टैक्स को लेकर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने पेट्रोल और डीजल में वैट टैक्स घटाकर जनता राहत नहीं देने वाले 7 राज्यों के नाम लेकर उन्हें निशाने बनाते हुए जनता की बीच अपनी लोक प्रियता बनाने की कोशिश की। पी एम ने राज्य की जनता के मध्य एक ऐसा संदेश देने का प्रयास किया कि जनता की जेब से पैसे निकाल कर गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकार द्वारा अपने राजकीय खजाने भरने की कोशिश कर रही है।पी एम ने कहा कि केंद्र सरकार ने विगत साल नम्बर महीने में ही ईंधन से उत्पाद शुल्क घटा लिया था और राज्यों से भी वैट टैक्स को लेकर कटौती की अपील की थी।कुछ राज्यों ने तो आगे बढ़कर जनता की सेवा के लिए करों में कटौती कर दी लेकिन कुछ राज्यों ने अभी भी वैट में कटौती करने को नहीं तैयार हैं।पी एम मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि मैं किसी की व्यक्तिगत आलोचना नहीं कर रहा हूं,बल्कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु से वैट कम करने और स्थानीय लोगों को लाभ देने का अनुरोध करता हुँ।
प्रधान मंत्री ने गैरभाजपा शासित राज्यों के विपक्षी दलों की सरकार द्वारा तेल की ऊंची कीमतों के लिए केंद्र पर निशाना साध रहे हैं,मेरी समझ में यह बात नहीं आ रही है कि सभी राज्यों में 100 रुपये का आंकड़ा पार कर गया है।आप को भी याद होगा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल नम्बर माह में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये,डीजल पर 10 रुपये की कटौती की घोषणा की थी और राज्यों से ईंधन पर वैट में भी कमी करने की अपील की थी। प्रधानमंत्री की अपील पर तत्काल ही जहां कुछ बीजेपी शासित राज्यों ने ईंधन पर कर कटौती की घोषणा की थी लेकिन कुछ राज्यों ने कर में कटौती नहीं किए थे ‘क्योंकि राज्यों के पास वैट टैक्स कम करने से उनके राजस्व में कमी आती , जिसके कारण राज्य सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।प्रधानमंत्री ने इस बैठक में उन राज्यों का नाम लिया और राज्य के उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए वैट में कटौती करने को बल देते हुए कहा,कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड, तमिलनाडु ने किसी न किसी वजह से केंद्र सरकार की बात नहीं मानी और उन राज्यों के नागरिकों पर बोझ बना हुआ है।पिछले वर्ष नवंबर में ही ये किया जाना था,ताकि नागरिकों को वैट कम उसका लाभ आपको लोगों को देना चाहिए था।प्रधान मंत्री के द्वारा दिये गये इस बयान पर विपक्षी भला कहा पीछे रहने वाले थें। उन्होंने अपना मजबूत पक्ष रखते हुए कहा कि राज्यों के हिस्से का जी एस टी की मोटी रकम केन्द्र सरकार के पास बकाया है।उधर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 26 लाख करोड़ रुपये कमाए,लेकिन इसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया उन्होंने कहा,”आपने राज्यों को जीएसटी का हिस्सा समय पर नहीं दिया ऊपर से हमें आप राज्यों से वैट को और कम करने के लिए कहते हैं। जबकि उन्हें स्वयं केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम करना चाहिए और बाद मै फिर दूसरों को वैट कम करने के लिए सलाह देनी चाहिए।पीएम मोदी के द्वारा उठाए गए इस मुद्दे के बाद एक बार फिर से डीज़ल-पेट्रोल पर वेट पर बहस की राजनीति शुरू हो गयी है।आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी इसी के साथ शुरू हो गया है।डी एम के सांसद और महाराष्ट्र सी एम ने दी प्रतिक्रिया दी वहीं डीएमके सांसद टीकेएस एलनगोवन ने पेट्रोल पर वैट घटाने को लेकर केंद्र को जवाब दिया है।एलनगोवन ने कहा,पीएम मोदी सीधे तौर पर विपक्षी दलों की ओर से शासित राज्यों को पेट्रोल से वैट घटाने को कह रहे हैं।पीएम भाजपा शासित राज्यों गुजरात और कर्नाटक की राज्यों से टैक्स कम करने को कहते नहीं हैं।केंद्र सरकार द्वारा इकट्ठा किया गए टैक्स की मात्रा इन राज्यों के द्वारा इकट्ठा किए गए टैक्स की मात्रा का तीन गुना है।उन्होने कहा कि केंद्र सरकार एक ओर 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की बात तो करते हैं लेकिन संकट के समय में पी एम पी एस यू बेच रहे हैं।महाराष्ट्र सीएमओ की ओर से राज्यों से पेट्रोल डीजल पर वैट घटाने को लेकर कहा गया राज्य की जनता को राहत देने के लिए राज्य सरकार की ओर से नेचुरल गैस पर टैक्स राहत दी गई है।इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस पर वैट को 13.5 फीसदी से घटाकर महज 3 फीसदी कर दिया है।पेट्रोल – डीजल व ईंधन की राजनीति के पेतरे बाजी व प्रधान मंत्री की अपील पर केंद्र सरकार की कमान संभालने के लिए स्वयं केंद्रीय मंत्री हरदीपपुरी ने संभालते हुए कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतें 19.56 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 130 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंची है।केंद्र ने तो अपनी जिम्मेदारी न ली बल्कि उत्पाद शुल्क में कमी कर निभाई है।अब राज्यों की बारी’ है।केंद्रीय मंत्री ने कहा देश में कोविड महामारी के बाद भी केंद्र सरकार जनता के लिए लगातार प्रयास कर रही है।उन्होंने कहा कि अब राज्यों आगे आएं और इसकी जिम्मेदारी लें।केंद्रीय मंत्री ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए बताया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है।मोदी सरकार में पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के दामों में सिर्फ 30 फीसदी ही बढ़ोत्तरी हुई है,जबकि केंद्र सरकार ने इसके बदले में अन्य कई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की,
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘हम अभी तक कोरोना महामारी से उबर नहीं पाए हैं।देश के 80 करोड़ लोगों को अभी भी मुफ्त में राशन दिया जा रहा है।केंद्र सरकार ने इससे बचने के लिए अभी भी वैक्सीनेशन अभियान चला रखा है।रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल की कीमतें 19.56 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 130 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंची हैI इसके पहले केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर 32 रुपये का एक्साइज शुल्क लेती थी,जिसमें कटौती की गई है।केंद्र सरकार ने पिछले साल दीपावली के आस-पास अपनी जिम्मेदारी लेते हुए वैट टैक्स घटाए थे।अब राज्यों को भी जनता की सेवा के लिए इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पुरी ने कहा कि गैर बीजेपी शासित राज्यों में 25 फीसदी ज्यादा वैट टैक्स वसूल रही है।पुरी ने आगे कहा,भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्यों में जितना बैट लगा रहे हैं उसका आधा वैट बीजेपी शासित राज्यों में लगाया गया है।पेट्रोल के दामों की बात करें तो बीजेपी शासित राज्यों की तुलना गैर-बीजेपी शासित राज्यों में 15-20 रुपये का अंतर दिखाई देगा।आपको बता दें कि गुरुवार को भी हरदीप सिंह पुरी ने बताया था कि विमान संचालन में देश के 40 फीसदी ईंधन का खर्च इससे पूर्व गुरुवार को भी केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि विमान संचालन में 40 फीसदी खर्च ईंधन का होता है।देश के जिन राज्यों में बीजेपी का शासन नहीं है वहां पर 25 फीसदी ज्यादा वैट की वसूली की जा रही है जबकि बीजेपी जिन राज्यों में शासन कर रही है वहां पर एक फीसदी वैट टैक्स ही लिया जा रहा है।राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी की दायरे में लाने को तैयार नहीं।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा,मेरी समझ यह है कि केंद्र पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने में खुश होगा लेकिन सत्य ये है कि राज्य इसके लिए तैयार नहीं है।सच्चाई यह है कि राज्य इसके लिए तैयार नहीं हैं. राज्यों के मुख्यमंत्री पेट्रोल-डीजल और शराब के राजस्व से हत्या हत्या करने पर उतारू हैं और जब कर्ज बढ़ता है तो वे दूसरों को दोष देते हैं।उन्होंने इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब का दिया है।पुरी ने कहा कि हम ईरान जैसे खाड़ी देशों के करीब स्थित हैं।जहां बहुत सारा तेल है।रूस के साथ हमारे ऊर्जा संबंध हैं और हम उनस कच्चा तेल खरीदते हैं, लेकिन हमारा कुल आयात महज 0.2 फीसदी से ज्यादा का नहीं है हमें अपने हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी शर्तों पर तेल खरीदना होगा ।
प्रधानमंत्री के द्वारा दिये गये गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकार को वेट में कमी करने के सुझाव पर विपक्षी दलों की राज्य सरकार की राजनीतिक पैतरेबाजी से आम जनता परेशान है।उन्हे यह समझ में नहीं आ रही है कि उनका सच्चा हितैषी कौन है। पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा जहाँ मुफ्त राशन,मुफ्त बैकशीन आदि के नाम पर ढिंढोरा पीटने वाला केंद्र की वर्तमान भाजपा की सरकार अपना वोट बैंक को यह एहसास दिलाकर राज्य में अपना सत्ता के सिंहासन पर अपना सिक्का जमाते हुए गैर भाजपा शासित राज्य सरकार पर निशाने लगाते हुए जनता का सच्चा हमदर्द का नाटक कर रही है।जो भाजपा महंगाई के नाम पर केंद्र में डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व मे कांग्रेस की सरकार का विरोध करते थकते नहीं थी वही आज महंगाई व बेरोजगारी को कोई समस्या नहीं मानती है बल्कि नाम परिवर्तन,धार्मिक उन्माद व भगवाकरण की राजनीति चमका रही है।ऐसे में भोली भाली जनता ही ठकी सी महसूस कर रही है।क्या यही अच्छे दिन है ।मोदी जी के लोगों को दिवास्वप्न दिखाकर सबका साथ,सबका विकास व सबका विश्वास है।तभी तो अंधभक्त कहते थकते नही है कि मोदी है तो सब मुमकिन है।
खैर मुझे क्या।फिलहाल से यह कहते हुए विदा लेते है कि-ना ही काहू से दोस्ती ना ही काहूँ से बैर। खबरीलाल तो माँगे सबकी खैर॥
खैर मुझे क्या।फिलहाल से यह कहते हुए विदा लेते है कि-ना ही काहू से दोस्ती ना ही काहूँ से बैर। खबरीलाल तो माँगे सबकी खैर॥