सरकार ने स्वीकारा प्रदेश की जेलों में भरे है क्षमता से अधिक कैदी, जबकि स्टाफ की है कमी : जीतू पटवारी

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sadbhawnapaati
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-प्रदेश में गायों की हुई मौत के मामले में असंतुष्ट नजर आए विधायक जीतू पटवारी, सदन में उठाया था गौशालाओं और गौवंश की मौत का मामला
भोपाल।
मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व मंत्री व विधायक जीतू पटवारी ने सोमवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखे जाने सहित जेलों में कार्यरत स्टॉफ और विचारधीन कैदियों को लेकर गृहमंत्री से सवाल किए।
जीतू पटवारी के विधान सभा में पूछे गए प्रश्न के जबाब में सरकार की तरफ से लिखित में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि प्रदेश की जेलो में 6,694 पद स्वीकृत है इनमें से 1,149 पद खाली है।
जबकि जेलो में बंदी आवास क्षमता 29,571 है। जिसके विरूध्द जेलो में 47,405 कैदी बंद है। गृहमंत्री ने जबाब बताया कि प्रदेश की जेलों में निर्धारित संख्या से 60 प्रतिशत अधिक कैदी है। 31 जनवरी की स्थिति में कुल कैदियों में 40 प्रतिशत सजायाफ्ता और 60 प्रतिशत विचाराधीन कैदी है।
वही जीतू पटवारी ने विचाराधीन कैदियों के मामले में किए गए प्रश्न के उत्तर में बताया कि यह बड़ी चौंकाने वाली बात है कि विचाराधीन कैदी औसत 8 महीने जेल में रह रहा है  और इस बात का उत्तर सरकार ने नहीं दिया गया की पुलिस द्वारा दर्ज और न्यायालय मे दिये फैसले में सक्सेस रेट क्या है।
शासन के आंकड़ों के अनुसार 27 प्रतिशत की सक्सेस रेट है। पटवारी ने कहा कि यानि जो विचाराधीन कैदी 8 महीने जेल में रहे, वह कानून की नजर में निर्दोष है और निर्दोष को जेल में रखना, इतनी लंबी अवधि के लिए, मानव अधिकार के खिलाफ है।
हालंकि पटवारी के पूछे गए सवाल के जबाब में इस बात का कोई उत्तर नहीं दिया गया कि विचाराधीन कैदी तथा सजायाफ्ता कैदी की गतिविधियों के लिए अलग-अलग स्थान है या नहीं।
जीतू पटवारी ने कहा कि जब उनका भोजन एक साथ बनता है, तो स्वाभाविक है कि विचाराधीन तथा सजायाफ्ता की सारी गतिविधि भी एक साथ है मात्र सोने का बैरक अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि यह गलत उत्तर है कि जेल में दोनों के लिए अलग-अलग स्थान है, जो कि सारे जेलों में ऐसी स्थिति नहीं है।
हम 31 जनवरी 2022 की स्थिति में अध्ययन करें तो 28 हजार विचाराधीन कैदी है यानि 75 प्रतिशत बरी हो जाएंगे यानि 21 हजार आरोपी निर्दोष होते हुए भी 8 महीने जेल में रहेंगे, बिना किसी अपराध के क्या यह एक कल्याणकारी राज्य की कल्पना है।
सरकार का यह कहना कि विचाराधीन कैदी को अलग-अलग नहीं कर सकते, उचित नहीं है। पटवारी ने कहा कि सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, जेल में कहीं अपराधी निर्माण करने की पाठशाला तो नहीं खोल रहे हैं।
वही प्रदेश में गौशालाओं और गायों की मौत को लेकर भी पटवारी ने विधानसभा में प्रश्न किए।
उन्होंने भोपाल के बैरसिया स्थित गौशाला में पिछले महीने सैकडों गायो की मौत का मामला सदन में उठाया। पटवारी ने गोवंश की मौत की जानकारी को लेकर प्रश्न पूछा था कि प्रदेश में कितने गौशाला संचालित हैं।
जिसमें 2017 से 2021 तक प्रदेश में कितनी गायों की मौत हुई। पटवारी ने आरोप लगया कि सरकार ने उनके प्रश्न का गलत जवाब देते हुए इंदौर में 2020 से 2022 तक लापरवाही से एक भी गाय की मौत नहीं हुई जानकारी दी और भोपाल के बैरसिया में कुल 23 गायों की मौत की जानकारी दी।
पटवारी ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि बैरसिया स्थिति गौशाला में दो से ढाई सौ गौवंश के कंकाल मिले थे सरकार पूरी तरह गलत जवाब विधानसभा में दे रही है।
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