नवरात्रि का नौवां दिन – मॉं सिद्धिदात्री देवी

Dr. Gopaldas Nayak
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Dr. Gopaldas Nayak
I am currently working in Government College Khandwa, I have been doing teaching work for the last several years and also writing work in various genres
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डॉ. गोपालदास नायक, खंडवा

नवरात्रि का नौवाँ और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की साधना को समर्पित होता है। वे सभी सिद्धियों और दिव्य शक्तियों की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनका बीज मंत्र है—

ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः॥

(अर्थात— हे माँ सिद्धिदात्री, आपको नमन है। आप ही वह शक्ति हैं जो साधक को ज्ञान, विवेक और सिद्धियों का वरदान देती हैं।) यह मंत्र साधक के भीतर आत्मबल, एकाग्रता और जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता जगाता है।

दार्शनिक दृष्टि से माँ सिद्धिदात्री हमें यह सिखाती हैं कि वास्तविक सिद्धि केवल चमत्कार या अलौकिक शक्ति नहीं, बल्कि आत्मज्ञान और संतुलित जीवन में निहित है। जब व्यक्ति अपने भीतर की क्षमताओं को पहचान लेता है और उन्हें समाज के हित में प्रयोग करता है, तभी उसकी साधना सार्थक होती है।

वर्तमान सामाजिक परिवेश में यह शिक्षा विशेष रूप से प्रासंगिक है। आज लोग सफलता को केवल भौतिक उपलब्धियों तक सीमित कर देते हैं। मान-सम्मान और दौलत की होड़ में जीवन की सच्ची उपलब्धियाँ—मानवता, सहयोग और करुणा—अक्सर छूट जाती हैं। माँ सिद्धिदात्री का संदेश है कि सिद्धि वही है जो व्यक्ति को विनम्र बनाए, समाज को लाभ पहुँचाए और जीवन में संतुलन लाए।

नवरात्रि का नवाँ दिन हमें यह स्मरण कराता है कि साधना और मंत्रजप का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत लाभ नहीं, बल्कि सामूहिक कल्याण भी होना चाहिए। माँ सिद्धिदात्री की उपासना हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत करें और उन्हें समाज में प्रेम, शांति और प्रगति के लिए समर्पित करें।

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