(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन)
देश दुनिया ही नही भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे का यूं बच निकलना बेहद शर्मनाक है।इसके लिए दोषी कौन है,यह तो सर्वविदित है लेकिन इन दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही क्यो नही हुई यह भी सवाल उठना लाजमी है।शिथिल न्याय प्रणाली के चलते यह पहला मामला नहीं है जिसमे दोषसिद्ध हत्यारा रिहा हुआ हो,लेकिन इस लचर प्रणाली में सुधार कब और कौन करेगा,इसका जवाब किसी के पास नहीं है।सच में कितनी अजीब न्याय व्यवस्था है जहां पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या हो जाती है, मगर हत्या के 31 साल बाद भी किसी को फांसी नहीं हो पाती है। जबकि 23 साल पहले फांसी की सजा का ऐलान भी हो गया था, मगर 4 दोषियों के लिए वो फंदा नहीं तैयार हो पाया, जिससे सजा पूरी की जा सके। सालों तक दया याचिका पर कोई निर्णय ना होना। अंतत: सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजीव गांधी की हत्या के दोषियों में से एक दोषी ए.जी पेरारीवलन की रिहाई का आदेश दे देना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई सन 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या की गई थी।उसके बाद शुरू हुई न्यायिक कार्रवाईयों को चलते हुए तीन दशक से ज्यादा का समय हो चुका है। राजीव गांधी की हत्या के दोषी ए.जी. पेरारीवलन की रिहाई का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खोल दिया गया। पेरारिवलन पर आरोप था कि हत्याकांड में जिस आत्मघाती जैकेट का इस्तेमाल हुआ था, उसमें लगने वाली बैटरी पेरारिवलन ने सप्लाई की थी। 9 वोल्ट की बैटरी कोर्ट में साबित भी हो गई कि पेरारिवलन ने हत्या के मास्टरमाइंड शिवरासन को बैटरी खरीदकर दी थी।जिस समय ये घटना हुई पेरारिवलन 19 साल का था। उसने आईटीआई पास की हुई थी। वह पिछले 31 सालों से सलाखों के पीछे था और अपनी फांसी का इंतजार कर रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के विशेषाधिकार के तहत उसकी रिहाई का फैसला दिया है। संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के रूप में खास शक्ति मिली है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को पूर्ण न्याय देने के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है। संविधान के अनुच्छेद 142 के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि होगा।इसके तहत कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है, जो लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिए जरूरी हों।
21 मई सन 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी
जिंदाबाद के नारों के बीच दो अनजानी महिलाएं थी।एक मानव बम धनु और दूसरी उसकी बैकअप शुभा। प्लान था कि अगर धनु नाकाम होती है तो शुभा इस काम को अंजाम देगी। एक तीसरी महिला भी थी, अथिराई जो दिल्ली के मोतीबाग इलाके में थी।जो प्लान का तीसरा हिस्सा था।अगर धनु और शुभा दोनों नाकाम होती तो दिल्ली में अथिराई राजीव गांधी पर हमला करती।
रैली स्थल पर डी घेरे की सुरक्षा में तैनात दारोगा अनसुइया को वीआईपी पास लिए धनु का हाव भाव और परिधान देख शक हुआ था, वो उसे पीछे धकेल देती हैं। थोड़ी देर बाद राजीव गांधी की एंट्री हुई तो धनु ने फिर घेरे में घुसने की कोशिश की। अनसुइया ने धनु का हाथ पकड़ रोक रखा था।उधर से राजीव गांधी की आवाज आती है,उन्होंने कहा सभी को आने दीजिए। धनु आगे बढ़ी, राजीव गांधी को चंदन की माला पहनाई, उनके पैर छूने के लिए झुकी, जैसे ही राजीव गांधी उसे झुककर ऊपर उठाने लगे,ब्लास्ट हो गया। जोर की आवाज के साथ चीख-पुकार और अंतहीन सन्नाटा….। धुआं छटा तो लाशें बिछ चुकी थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अलावा धरमन, पुलिस कॉन्स्टेबल
सांथनी बेगम, महिला कांग्रेस नेता
राजगुरु, पुलिस इंस्पेक्टर
चंद्रा, पुलिस कॉन्स्टेबल
एडवर्ड जोसफ, पुलिस इंस्पेक्टर
मोहम्मद इकबाल, पुलिस सुप्रिटेंडेंट लता कनन, महिला कांग्रेस नेता कोकिलावानी, लता कनन की बेटीडायरिल पीटर्स- ऑब्जर्वर मुन्नूस्वामी, पूर्व विधायक सरोजा देवी, कॉलेज स्टूडेंट प्रदीप गुप्ता, पीएसओ, राजीव गांधी इथिराजू
मुरुगन, पुलिस कॉन्स्टेबल
रविचंद्रन, ब्लैक कैट कमांडो
की जान जा चुकी थी।मानव बम धनु भी मारी गई थी। राजनीतिक उथल-पुथल के माहौल में एसआईटी गठित हुई। गिरफ्तारियां हुई। एनकाउंटर भी हुआ।सीबीआई को जांच सौंप दी गई।दर्जनों गिरफ्तार किए गए। तीसरी लड़की अथिराई को दिल्ली से पकड़ा गया। शुभा और मास्टरमाइंड शिवरासन की तलाश शुरू हुई। मगर जब तक पुलिस उनके पास पहुंचती। शुभा ने जान दे दी और शिवरासन ने खुद को गोली मार ली। बाकी आरोपियों को पकड़ कर ट्रायल चलाया गया।सुरक्षा में खामी की जांच जस्टिस जे. एस. वर्मा आयोग ने की। रिपोर्ट आई तो पाया कि सुरक्षा व्यवस्था तो ठीक थी, मगर पार्टी की स्थाई इकाई ने सुरक्षा व्यवस्था के मानकों का पालन नहीं किया था।
सीबीआई ने ये साबित कर दिया था कि हत्या और साजिश को अंजाम आतंकी संगठन लिट्टे ने दिया था।आखिर स्पेशल कोर्ट ने 26 आरोपियों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। इसमें मुख्य आरोपी थे मुरुगन, पेरारीवलम, सांतन, नलिनी, रॉबर्ट पायर्स, जयकुमार और आर रविचंद्रन।सन 1999 में इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। कइयों की रिहाई हुई। सिर्फ सातों की फांसी की सजा बरकरार रही।आगे चलकर इनमें से नलिनी की फांसी को सोनिया गांधी ने खुद ह्मयूनटेरियन ग्राउंड पर माफ कराया।सन 2008 में प्रियंका गांधी नलिनी से वेल्लोर जेल में जाकर मिली थीं। डीआईजी अमोद कांथ का कहना है कि हत्या करने वाले ज्यादातर लोग मारे जा चुके थे। अब ट्रायल उन लोगों पर चल रहा था, जिनपर षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था। सीबीआई को ये केस खोलने में सबसे ज्यादा मदद एक कैमरे से मिली, जिसका कैमरामैन जाने-अनजाने में हमला करने वाले दस्ते का हिस्सा था। सीबाआई मानती है कि ये लोग सीधे साजिश में शामिल थे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई पर बीजेपी पर निशाना साधा है।सुरजेवाला ने कहा कि राजीव गांधी के हत्यारे को छोड़ दिया गया है, प्रधानमंत्री मोदी बताएं कि क्या यही राष्ट्रवाद है। सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।उन्होंने कहा कि यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि कोर्ट ने राजीव गांधी के एक हत्यारे को रिहा कर दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के तत्कालीन गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित और राष्ट्रपति के समय से फैसला नहीं लेने की वजह से उच्चतम न्यायालय ने ये फैसला दिया है। इससे करोड़ों भारतीय नागरिकों की भावना आहत हुई हैं।लेकिन मोदी सरकार उक्त मुद्दे पर चुप है।इसी तरह लचर व्यवस्था के चलते हत्यारे रिहा होते रहे तो अराजकता के हालात पैदा हो सकते है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई सन 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हत्या की गई थी।उसके बाद शुरू हुई न्यायिक कार्रवाईयों को चलते हुए तीन दशक से ज्यादा का समय हो चुका है। राजीव गांधी की हत्या के दोषी ए.जी. पेरारीवलन की रिहाई का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खोल दिया गया। पेरारिवलन पर आरोप था कि हत्याकांड में जिस आत्मघाती जैकेट का इस्तेमाल हुआ था, उसमें लगने वाली बैटरी पेरारिवलन ने सप्लाई की थी। 9 वोल्ट की बैटरी कोर्ट में साबित भी हो गई कि पेरारिवलन ने हत्या के मास्टरमाइंड शिवरासन को बैटरी खरीदकर दी थी।जिस समय ये घटना हुई पेरारिवलन 19 साल का था। उसने आईटीआई पास की हुई थी। वह पिछले 31 सालों से सलाखों के पीछे था और अपनी फांसी का इंतजार कर रहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के विशेषाधिकार के तहत उसकी रिहाई का फैसला दिया है। संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के रूप में खास शक्ति मिली है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को पूर्ण न्याय देने के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है। संविधान के अनुच्छेद 142 के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि होगा।इसके तहत कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है, जो लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिए जरूरी हों।
21 मई सन 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी
जिंदाबाद के नारों के बीच दो अनजानी महिलाएं थी।एक मानव बम धनु और दूसरी उसकी बैकअप शुभा। प्लान था कि अगर धनु नाकाम होती है तो शुभा इस काम को अंजाम देगी। एक तीसरी महिला भी थी, अथिराई जो दिल्ली के मोतीबाग इलाके में थी।जो प्लान का तीसरा हिस्सा था।अगर धनु और शुभा दोनों नाकाम होती तो दिल्ली में अथिराई राजीव गांधी पर हमला करती।
रैली स्थल पर डी घेरे की सुरक्षा में तैनात दारोगा अनसुइया को वीआईपी पास लिए धनु का हाव भाव और परिधान देख शक हुआ था, वो उसे पीछे धकेल देती हैं। थोड़ी देर बाद राजीव गांधी की एंट्री हुई तो धनु ने फिर घेरे में घुसने की कोशिश की। अनसुइया ने धनु का हाथ पकड़ रोक रखा था।उधर से राजीव गांधी की आवाज आती है,उन्होंने कहा सभी को आने दीजिए। धनु आगे बढ़ी, राजीव गांधी को चंदन की माला पहनाई, उनके पैर छूने के लिए झुकी, जैसे ही राजीव गांधी उसे झुककर ऊपर उठाने लगे,ब्लास्ट हो गया। जोर की आवाज के साथ चीख-पुकार और अंतहीन सन्नाटा….। धुआं छटा तो लाशें बिछ चुकी थी। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अलावा धरमन, पुलिस कॉन्स्टेबल
सांथनी बेगम, महिला कांग्रेस नेता
राजगुरु, पुलिस इंस्पेक्टर
चंद्रा, पुलिस कॉन्स्टेबल
एडवर्ड जोसफ, पुलिस इंस्पेक्टर
मोहम्मद इकबाल, पुलिस सुप्रिटेंडेंट लता कनन, महिला कांग्रेस नेता कोकिलावानी, लता कनन की बेटीडायरिल पीटर्स- ऑब्जर्वर मुन्नूस्वामी, पूर्व विधायक सरोजा देवी, कॉलेज स्टूडेंट प्रदीप गुप्ता, पीएसओ, राजीव गांधी इथिराजू
मुरुगन, पुलिस कॉन्स्टेबल
रविचंद्रन, ब्लैक कैट कमांडो
की जान जा चुकी थी।मानव बम धनु भी मारी गई थी। राजनीतिक उथल-पुथल के माहौल में एसआईटी गठित हुई। गिरफ्तारियां हुई। एनकाउंटर भी हुआ।सीबीआई को जांच सौंप दी गई।दर्जनों गिरफ्तार किए गए। तीसरी लड़की अथिराई को दिल्ली से पकड़ा गया। शुभा और मास्टरमाइंड शिवरासन की तलाश शुरू हुई। मगर जब तक पुलिस उनके पास पहुंचती। शुभा ने जान दे दी और शिवरासन ने खुद को गोली मार ली। बाकी आरोपियों को पकड़ कर ट्रायल चलाया गया।सुरक्षा में खामी की जांच जस्टिस जे. एस. वर्मा आयोग ने की। रिपोर्ट आई तो पाया कि सुरक्षा व्यवस्था तो ठीक थी, मगर पार्टी की स्थाई इकाई ने सुरक्षा व्यवस्था के मानकों का पालन नहीं किया था।
सीबीआई ने ये साबित कर दिया था कि हत्या और साजिश को अंजाम आतंकी संगठन लिट्टे ने दिया था।आखिर स्पेशल कोर्ट ने 26 आरोपियों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। इसमें मुख्य आरोपी थे मुरुगन, पेरारीवलम, सांतन, नलिनी, रॉबर्ट पायर्स, जयकुमार और आर रविचंद्रन।सन 1999 में इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। कइयों की रिहाई हुई। सिर्फ सातों की फांसी की सजा बरकरार रही।आगे चलकर इनमें से नलिनी की फांसी को सोनिया गांधी ने खुद ह्मयूनटेरियन ग्राउंड पर माफ कराया।सन 2008 में प्रियंका गांधी नलिनी से वेल्लोर जेल में जाकर मिली थीं। डीआईजी अमोद कांथ का कहना है कि हत्या करने वाले ज्यादातर लोग मारे जा चुके थे। अब ट्रायल उन लोगों पर चल रहा था, जिनपर षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप था। सीबीआई को ये केस खोलने में सबसे ज्यादा मदद एक कैमरे से मिली, जिसका कैमरामैन जाने-अनजाने में हमला करने वाले दस्ते का हिस्सा था। सीबाआई मानती है कि ये लोग सीधे साजिश में शामिल थे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई पर बीजेपी पर निशाना साधा है।सुरजेवाला ने कहा कि राजीव गांधी के हत्यारे को छोड़ दिया गया है, प्रधानमंत्री मोदी बताएं कि क्या यही राष्ट्रवाद है। सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।उन्होंने कहा कि यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि कोर्ट ने राजीव गांधी के एक हत्यारे को रिहा कर दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के तत्कालीन गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित और राष्ट्रपति के समय से फैसला नहीं लेने की वजह से उच्चतम न्यायालय ने ये फैसला दिया है। इससे करोड़ों भारतीय नागरिकों की भावना आहत हुई हैं।लेकिन मोदी सरकार उक्त मुद्दे पर चुप है।इसी तरह लचर व्यवस्था के चलते हत्यारे रिहा होते रहे तो अराजकता के हालात पैदा हो सकते है।

