गौवंश को तत्काल चिकित्सा सुविधा हेतु प्रदेश के सभी जिलों को एक-एक एम्बुलेंस वाहन देगी राज्य सरकार

sadbhawnapaati
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इन्दौर। मप्र राज्य शासन द्वारा गठित म.प्र. गौ पालन बोर्ड के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने आज यहां रेसीडेंसी कोठी पर जिले की गौशालाओँ के संचालकों एवं प्रबंधकों से चर्चा के दौरान बताया कि राज्य सरकार जल्द ही सभी जिलों के लिए एक-एक एम्बुलेंस वाहन प्रदान करेगी, जिससे गौवंश को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। सरकार जबलपुर के पास 530 एकड़ भूमि पर गौवंश के लिए अभ्यारण्य बना रही है। यदि राज्य के अन्य जिलों में भी पर्याप्त भूमि मिले तो वहां भी ऐस अभ्यारण्य बनाए जा सकेंगे। गोचर की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करने की कार्रवाई भी तत्परता से की जाएगी।
स्वामी अखिलेश्वरानंद ने आज जिले की गौशालाओं के संचालकों एवं प्रतिनिधियों के साथ रेसीडेंसी कोठी पर मुलाकात की। इस दौरान मां पराम्बा गौभक्त मंडल के योगेश होलानी ने उन्हें बताया कि प्रदेश में नंदी की संख्या काफी कम है, इसके कारण गौवंश के प्रजनन में अच्छी नस्ल के बछड़ों की कमी महसूस की जा रही है। यदि बोर्ड की ओर से नंदी वन बनाने की योजना प्रारंभ की जाए तो इस समस्या का हल हो सकेगा। गौवंश के लिए चिकित्सा व्यवस्था में कसावट लाने की बात पर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि सरकार सभी जिलों को एक-एक एम्बुलेंस वाहन देने जा रही है, जिससे गौवंश को तत्परता के साथ उपचार सुविधा मिल सकेगी। इसके अलावा बैठक में मौजूद इन्दौर के पशु पालन विभाग के संयुक्त संचालक ने भी इस सुझाव पर सहमित दी कि गौशालाओं में पशु चिकित्सक एक निश्चित दिन पर पहुंचकर गौवंश का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे। होलानी ने गोचर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने की भी मांग की। इस पर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि हमने राज्य सरकार से गोचर भूमि के कब्जे हटाने के अधिकार देने की मांग की है। शासन से अधिकार मिलते ही बोर्ड द्वारा गोचर भूमि को मुक्त कराने की कार्रवाई तत्परता से की जाएगी। बैठक में मुरारीलाल तिवारी गौशाला की ओर से राधेश्याम शर्मा गुरूजी, अहिल्यामाता गौशाला प्रबंध समिति के अध्यक्ष रवि सेठी, कजलीगढ़ गौशाला के अग्निहोत्री, गोपाल गौशाला सगड़ौद सहित विभिन्न गौशालाओं के प्रतिनिधि एवं पशु पालन विभाग के संचालक जी.एस. डाबर सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि गौवंश की सुरक्षा और संवर्धन के लिए राज्य सरकार पूरी तरह संवेदनशील है। दूर-दराज की जिन गौशालाओं में पशु चिकित्सक समय पर नहीं पहुंच पाते हैं, वहां गौसेवको में से किसी एक का चयन कर उसे गौ चिकित्सा के लिए प्रशिक्षण देने की भी योजना है ताकि गौवंश को समय पर प्रारंभिक उपचार मिल सके।
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