जनसुनवाई में उठी 300 साल पुराने पीपल वृक्ष की आवाज –  नागरिकों ने दिए अलग-अलग आवेदन

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Indore News in Hindi। इंदौर नगर निगम की जनसुनवाई में आज एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला। श्री शिव हनुमान मंदिर प्रांगण स्थित 300 वर्ष पुराने पवित्र पीपल वृक्ष की अनधिकृत कटाई के विरोध में जितने नागरिक पहुंचे, उतने ही अलग-अलग आवेदन प्रस्तुत किए गए। हर आवेदन में मुद्दे भिन्न थे, मगर उद्देश्य एक ही था—”पीपल वृक्ष को न्याय मिले और भविष्य में वृक्ष सुरक्षित रहें।”

नगर निगम आयुक्त कार्यालय में आज जनसुनवाई के दौरान नागरिकों ने अपनी-अपनी व्यक्तिगत लिखित आवेदन प्रस्तुत किए। आम तौर पर इस तरह के मामलों में एक ही आवेदन पर कई लोगों के हस्ताक्षर होते हैं, किंतु आज की जनसुनवाई में विशेष बात यह रही कि जितने आवेदक थे उतने ही आवेदन थे। हर नागरिक ने अपने-अपने शब्दों में अलग-अलग मुद्दे उठाए, लेकिन उद्देश्य एक ही था—कि पीपल के पेड़ को न्याय मिले और भविष्य में अन्य पेड़ सुरक्षित रह सकें।

गौरतलब है कि इस जनसुनवाई की पहल पर्यावरणप्रेमी राजेन्द्र सिंह द्वारा फेसबुक पर की गई अपील से हुई, जिस पर प्रेरित होकर नागरिक स्वयं आगे आए और अपने आवेदन प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर आयुक्त दिलीप कुमार यादव ने राजेन्द्र सिंह द्वारा मोबाइल पर दिखाए गए वीडियो और फोटो देखे। इन वीडियो में वृक्ष की तने की गोलाई (लगभग 42 फुट) नापते हुए शहर के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और गणमान्य नागरिकों का समूह नजर आता है। साथ ही, मुकेश वर्मा ने सभी प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की फोटोकॉपी प्रस्तुत की। यह खबर राष्ट्रिय स्तर पर समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित की है। ।

आयुक्त ने पूरे मामले को गंभीरता से समझा और उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया। इस आश्वासन से सभी आवेदक संतुष्ट हुए।

व्यक्तिगत आवेदन प्रस्तुत करने वालों में प्रमुख रूप से राजेन्द्र सिंह, मुकेश वर्मा, इंजी. अखिलेश जैन, परिणीता दीक्षित, चंद्रशेखर गवली, विश्वनाथ कदम, अरविन्द पोरवाल, गुरमीत सिंह छाबड़ा व अन्य शामिल रहे। इस अवसर पर पर्यावरणविद डॉ. दिलीप वागेला ने प्राचीन पीपल वृक्ष को पुनर्जीवित कर उसे हरित धरोहर घोषित करने का आग्रह किया। आवेदकों ने कहा कि उन्हें आयुक्त महोदय से पूरी उम्मीद है कि पीपल वृक्ष को न्याय अवश्य मिलेगा।

इस अवसर पर राजेन्द्र सिंह ने कहा – “हमारा कोई व्यक्तिगत हित नहीं है। यदि मंदिर परिसर में ही पीपल जैसे पवित्र और पर्यावरणीय महत्व के वृक्ष सुरक्षित नहीं रहेंगे तो यह समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यंत चिंतनीय है।”

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