(विचार मंथन) गहरे होते भारत-यूएई संबंध 

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लेखक-सिद्धार्थ शंकर

कुछ वर्ष पहले तक खाड़ी देशों के साथ हमारे संबंध बस इतने थे कि हम तेल खरीदते हैं और उनको भुगतान कर देते हैं तथा हमारे लोग वहां काम करते हैं और वहां से अपनी कमाई यहां भेजते हैं। अब हमारे संबंध परिपक्व और बहुआयामी हो गए हैं क्योंकि खाड़ी में हर देश के साथ भारत ने रणनीतिक सहयोग के समझौते किए हैं। व्यापार, कारोबारी सहभागिता, तकनीक, साइबर सुरक्षा, सामुद्रिक सुरक्षा आदि के क्षेत्र में भी सहयोग का विस्तार हुआ है। बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए भारत भी यह चाहता है कि मध्य एशिया में शांति और स्थिरता रहे। हालांकि सभी खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध गहरे हुए हैं, लेकिन इनमें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) विशेष स्थान रखता है। भारत के लिए यूएई की खास अहमियत होने की दो मुख्य वजहें हैं- यह भारत के लिए आवागमन का एक बहुत बड़ा केंद्र है तथा भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार के मामले में यह शीर्ष देशों में शामिल है। हमारे यहां यूएई के निवेश में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। दोनों देशों के संबंधों को बेहतर करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी भूमिका है। द्विपक्षीय संबंधों में नेताओं की आपसी समझ और भरोसे की बड़ी भूमिका होती है। जर्मनी में जी-7 के बैठक से लौटते हुए कुछ देर के लिए प्रधानमंत्री मोदी यूएई में रुके। यह उनकी चौथी यात्रा थी। पहले उन्हें दुबई एक्सपो में जाना था, पर महामारी के चलते वे नहीं जा सके थे। उल्लेखनीय है कि खाड़ी देशों में यूएई पहला ऐसा देश है, जिसने इजरायल के साथ सामान्य संबंध बनाने की व्यापक पहल की है। अरब देशों में इससे पहले मिस्र और जॉर्डन ने ही ऐसा किया था। संबंध बढ़ाने के प्रयास के तहत ही भारत, इजरायल, अमेरिका और यूएई ने एक समूह बनाया है, जिसे आई2यू2 कहा जाता है। इसमें शामिल तीनों देशों के साथ भारत का रणनीतिक सहकार है। भारत और इजरायल के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने के संबंध में बातचीत चल रही है। ऐसे ही एक समझौते के लिए अमेरिका के साथ भी चर्चा हो रही है। हाल में बने एक आर्थिक मंच में भी अमेरिका और भारत शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य एवं व्यापार के क्षेत्र में भारत की भूमिका के महत्व को खाड़ी देश भी समझ रहे हैं। पहले इनके साथ व्यापक संबंध न बन पाने की एक वजह यह भी थी कि ये देश पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आते थे और हमारा आकलन यह होता था कि ऐसे में सहकार की संभावना तलाशने का कोई मतलब नहीं है। अब यह स्थिति नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी के हालिया दौरे का एक संदर्भ यह भी है कि कुछ दिन पहले अबुधाबी के शासक और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायेद के भाई और पूर्व राष्ट्रपति खलीफा बिन जायेद का निधन हुआ था। भारत की ओर से शोक संवेदना प्रकट करने के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू गये थे। इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनी संवेदना दी और मोहम्मद बिन जायेद को राष्ट्रपति बनने की बधाई भी दी। दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत निकटता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूएई के राष्ट्रपति अपने परिजनों और वरिष्ठ मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए हवाई अड्डे पर आये तथा वहीं बातचीत की। दोनों नेता इस बात से आगाह हैं कि चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, चाहे वे खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी हों, रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न स्थिति हो या भावी विश्व व्यवस्था के बारे में हों।
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