समुद्र मंथन से निकली थी ये खास तरह की शराब

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

 

 

समुद्र मंथन से निकली थी ये खास तरह की शराब

धरती के विस्तार और इस पर विविध प्रकार के जीवन निर्माण के लिए देवताओं के भी देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने लीला रची और उन्होंने देव तथा उनके भाई असुरों की शक्ति का उपयोग कर समुद्र मंथन कराया। इस समुद्र मंथन से एक से एक बेशकीमती रत्न निकले थे लेकिन उनमें 14 तरह के रत्न खास थे। जैसे सबसे पहले निकला हलाहल विष, केमधेनु, उच्चैःश्रवा घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, लक्ष्मी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, शंख, धन्वंतरि वैद्य और अमृत, लेकिन एक और चीज निकली थी और वह थी खास करह की शराब। आओ जानते हैं इसके बारे में संक्षिप्त में।

वारुणी (मदिरा):

[expander_maker id=”1″ more=”आगे पढ़े ” less=”Read less”]

1. कहते हैं कि समुद्र मंथन से वारुणी नाम से एक मदिरा निकली थी। जल से उत्प‍न्न होने के कारण उसे वारुणी कहा गया। वरुण का अर्थ जल।

2. वरुण नाम के एक देवता हैं, जो असुरों की तरफ थे। वरुण की पत्नी को भी वरुणी कहते हैं। कहते हैं कि यह समुद्र से निकली मदिरा की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई और वही वरुण देवी की पत्नी वारुणी बनी। समुद्र मन्थन करने पर कमलनयनी कन्या के रूप में वारुणी देवी प्रकट हुई थी। कहते हैं कि सुरा अर्थात मदिरा लिए हुए वारुणी देवी समुद्र से प्रकट हुईं। भगवान की अनुमति के बाद इन्हें असुरों को सौंप दिया गया।

3. यह भी कहा जाता है कि कदंब के फलों से बनाई जाने वाली मदिरा को वारुणी कहते हैं। कुछ लोग ताल अथवा खजूर से निर्मित मदिरा को वारुणी मानते हैं। ये समुद्र से निकले वृक्ष भी माने जाते हैं।

4. चरकसंहिता के अनुसार वारुणी को मदिरा के एक प्रकार के रूप में बताया गया है और यक्ष्मा रोग के उपचार के लिए इसे औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।

5. वारुणी नाम से एक पर्व भी होता है और वारुणी नाम से एक खगोलीय योग भी।

6. उल्लेखनीय है कि देवता सुरापान करते थे और असुर मदिरा। कहते हैं कि सुरों द्वारा ग्रहण की जाने वाली हृष्ट (बलवर्धक) प्रमुदित (उल्लासमयी) वारुणी (पेय) इसीलिए सुरा कहलाई। गौरतलब है कि देवता सोमरस भी पीथे जो कि एक शरबत होता था, शराब नहीं।

[/expander_maker]

 

Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।
153 Comments