इंदौर में कलेक्टर के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ट्रैफिक पुलिस की चालानी कार्रवाई जारी है, जबकि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई है। सड़कों पर जाम और अव्यवस्थित पार्किंग के बीच नागरिक परेशान हैं।
प्रशासनिक अनुशासन की अनदेखी
चालान पर रोक के आदेशों के बावजूद कार्रवाई जारी रखना प्रशासनिक अनुशासन की अवहेलना दर्शाता है।
समस्याएँ बरकरार, समाधान गायब
खराब सिग्नल, अतिक्रमण और अव्यवस्थित पार्किंग से ट्रैफिक बदहाल है, लेकिन समाधान की जगह केवल चालान पर ध्यान है। इससे आम नागरिक निशाने पर हैं।
जनता के सवाल
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आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ?
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क्या यह लापरवाही है या निहित स्वार्थ?
समाधान की राह
नागरिक माँग कर रहे हैं कि चालान को कमाई का जरिया बनाने की बजाय ठोस कदम उठाए जाएँ, जैसे:-
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अतिक्रमण हटाना
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सिग्नल सुधार
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स्मार्ट पार्किंग
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पुलिस ट्रेनिंग
ट्रैफिक प्रबंधन को प्राथमिकता देकर ही इंदौर की सड़कों को सुगम बनाया जा सकता है।
आपका विचार: क्या चालान से सुधार संभव है, या ज़मीनी बदलाव जरूरी हैं?