आज अंधेरी रातों ने मेहनत का सूरज छुपा लिया।
इन अंधेरी रातों में जब हम अपना सवेरा बॉंटेंगे।
एक हार नहीं… एक शाल नहीं हम सारी खुशियां बॉटेंगे।
इन अंधेरी रातों में जब हम अपना सवेरा बॉंटेंगे।
एक हार नहीं… एक शाल नहीं हम सारी खुशियां बॉटेंगे।
इंदौर. श्रमिक दिवस पर नन्ही खनक हजेला ने 200 मजदूरों को भोजन करवाया और उनके साथ बात कर उनकी समस्या और परेशानी के बारे में जानकारी ली। खनक ने उनके बच्चों के साथ बात भी की और उनकी शिक्षा के लिए सभी को आगे आकर पहल करने का आव्हान भी किया |
इंदौर की 14 वर्षीय सोसियो इॅकोनौमिक एन्टरप्रेन्योर खनक हजेला कहती है कि –
हमारे देश में उद्योगों एवं संस्थाओं में कार्य करने वाले मेहनतकश श्रमिक वर्ग की देश को आगे बढ़ाने एवं देश को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मजदूरों की अनुपस्थिति में आद्योगिक विकास एवं देश की तरक्की असंभव हैं।
हमारे देश में उद्योगों एवं संस्थाओं में कार्य करने वाले मेहनतकश श्रमिक वर्ग की देश को आगे बढ़ाने एवं देश को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मजदूरों की अनुपस्थिति में आद्योगिक विकास एवं देश की तरक्की असंभव हैं।
श्रम दिवस पर मजदूरों के साथ खुशियां बांटते हुए खनक ने एक अहम मुद्दा उठाया कि इन मजदूरों के वेतन के साथ उनके बच्चों की प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
मालिक की जवाबदारी होनी चाहिए कि उनके मजदूरों के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पूरी हो। शिक्षा ही एकमात्र ऐसी चीज है जो यह स्थिति को बदल सकती हैं। मजदूर दिवस पर थोड़ा बहुत करने से कुछ नही होगा अब यह तस्वीर बदलनी चाहिए। खनक का कहना है कि प्राथ्मिक शिक्षा के बाद कौशल विकास की ट्रेनिंग उनके बच्चों के लिये उनके अपने कार्य क्षेत्र में बहुत जरुरी हैं।
आईटीआई (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) से जो स्किल डेवलपमेंट (कौशल विकास) होता है इन संस्थानों को भी उच्च स्तर का अति उत्तम बनाना जरूरी है। जिससे मजदूरों के बच्चों का कौशल विकास हो सके।
मजदूरों में अधिकतर जानते ही नहीं कि वे जो काम कर रहे हैं वो कही सिखाया भी जाता हैं या नहीं । इस तरह हमें जमीनी हकीकत को समझना होगा। मजदूरों की उन्नति व खुशी के लिए उनकी तरक्की बहुत जरुरी है जो शिक्षा से ही संभव हैं।