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इंदौर। भारत में शिक्षा और रोजगार के समीकरण अब तेजी से बदल रहे हैं। आईटी सेक्टर, जो अब तक कॉलेजों और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से डिग्रीधारी उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता देता था, अब कौशल आधारित प्रतिभा की ओर मुड़ चुका है। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में इंदौर स्थित वेक्टर स्किल एकेडमी (Vector Skill Academy) में देखने को मिला, जहां छात्रों ने अपनी काबिलियत से यह साबित कर दिया कि अब केवल डिग्री नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान, प्रोजेक्ट अनुभव और समर्पण ही असली सफलता की कुंजी है।
इस एकेडमी में हुए विशेष प्लेसमेंट ड्राइव में देश की प्रमुख आईटी कंपनी प्रोएक्सिओम ने उन छात्रों को जॉब ऑफर दिए, जिनके पास तकनीकी दक्षता के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य करने की मानसिक दृढ़ता भी थी।
इस प्लेसमेंट अभियान में सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि चयनित हुए कई छात्र ऐसे परिवारों और इलाकों से आते हैं जहाँ आईटी का नाम सुनना भी कभी सपना लगता था। छोटे कस्बों और ग्रामीण पृष्ठभूमि से आए इन युवाओं ने न केवल कोडिंग और तकनीकी ज्ञान हासिल किया, बल्कि अपने व्यवहारिक प्रोजेक्ट्स और प्रस्तुतिकरण से कंपनी के चयनकर्ताओं को प्रभावित कर दिखाया कि असली प्रतिभा किसी शहरी कैंपस या बड़ी डिग्री की मोहताज नहीं होती।
वेक्टर स्किल एकेडमी (Vector Skill Academy) की इस सफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब कंपनियां केवल शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग नहीं देख रहीं, बल्कि वे ऐसे युवाओं की तलाश में हैं जो वास्तविक समस्याओं को तकनीकी समाधान में बदलने की क्षमता रखते हों।
एकेडमी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्रों को न केवल तकनीकी कोर्स सिखाए जाते हैं, बल्कि उन्हें इंडस्ट्री-रेडी बनाने पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है।