- स्वर्गारोहण इकाई : कम लकड़ी, बड़ा पर्यावरण लाभ
- पारंपरिक अग्नि संस्कार के लिए 400 किलो लकड़ी की जगह केवल 60-70 किलो से संभव अंतिम संस्कार
अहमदाबाद। पारंपरिक अग्नि संस्कार में जहां लगभग 400 किलो लकड़ी की आवश्यकता होती है, वहीं स्वर्गारोहण इकाई के माध्यम से मात्र 60 से 70 किलो लकड़ी में ही मानव देह का अंतिम संस्कार सम्भव है। यह नवाचार धार्मिक रीति-रिवाजों की पूर्णता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक उपयोगिता का अनूठा उदाहरण है। इस अभिनव प्रयास के जनक, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संशोधक अर्जुनभाइ पाघडार हैं। उनके द्वारा विकसित स्वर्गारोहण इकाई से न केवल समय की बचत होती है बल्कि वनों की कटाई पर भी नियंत्रण संभव है। आज देशभर में इसकी 100 से अधिक इकाइयाँ स्थापित हो चुकी हैं और यह संख्या निरंतर बढ़ रही है।
कॉर्पोरेट जगत का योगदान
वर्ष 2024 में पहली बार किसी कॉर्पोरेट कंपनी ने CSR गतिविधि के अंतर्गत इस सामाजिक कार्य को समर्थन दिया। इंदौर की विशाल फैब कंपनी ने पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. दिलीप वागेला जी की सलाह पर स्वर्गारोहण इकाई स्थापित कर इस पहल की शुरुआत की। डॉ. वागेला पिछले तीन दशकों से पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सक्रिय शोधकर्ता रहे हैं।
वर्ष 2025 में Zydus Lifesciences Ltd. ने गुजरात में पहली बार एक साथ पाँच स्वर्गारोहण इकाइयाँ स्थापित की हैं। यह पहल कंपनी के चेयरमैन पंकज रमनभाई पटेल की दूरदृष्टि और सामाजिक जिम्मेदारी का परिणाम है। पंकज पटेल भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में गिने जाते हैं और Zydus Lifesciences को भारत की पाँचवीं सबसे बड़ी फार्मा कंपनी के रूप में स्थापित करने का श्रेय उन्हें जाता है।
इस परियोजना को ज़मीन पर उतारने में ज़ाइडस समूह की वर्तमान CSR प्रमुख डॉ. बिनीता वर्डिया की सक्रिय भूमिका रही। उनकी नेतृत्व क्षमता और संवेदनशील दृष्टि के कारण अहमदाबाद जिले के बावला, मोडासर, मोरैया, सनाथल और वडोदरा जिले के जरोद गाँव में ये इकाइयाँ सफलतापूर्वक स्थापित हो सकी हैं।
समाजोपयोगी पहल और प्रेरणा
प्रत्येक स्वर्गारोहण इकाई से प्रतिवर्ष सैकड़ों टन लकड़ी की बचत संभव है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आती है। विशाल फैब और ज़ाइडस लाइफसाइंसेज़ जैसी कंपनियों की पहल अन्य उद्योग समूहों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है। यदि और कंपनियाँ इस दिशा में आगे आएँ, तो पर्यावरण संतुलन और हरित भविष्य की दिशा में बड़ा परिवर्तन संभव है।