पिछले तीन सालों में यह दसवीं बार है, जब तेंदुआ शहर में या बाहरी इलाकों में आया है। चार महीने पहले ही यानी दिसंबर में ही तीन दिन में दो तेंदुए नेमावर रोड स्थित रणभंवर गांव से पकड़े गए थे। वहां तीसरा तेंदुआ भी था, लेकिन वन अधिकारियों ने वन क्षेत्र होने से पिंजरा लगाकर पकड़ने से इनकार कर दिया था। दरअसल, जंगलों का दायरा सिमटता जा रहा है।
विकास योजनाओं के नाम पर पेड़ कटते जा रहे हैं। जंगलों में तेंदुए के लिए शिकार और पानी भी नहीं है। इस वजह से तेंदुए बसाहट वाले इलाकों तक शिकार, पानी की तलाश में आ रहे हैं। 2018 में हुई जंगली जानवरों की गणना में इंदौर में 35 तेंदुए होना बताए गए थे। चूंकि मध्यप्रदेश अब तेंदुआ इस्टेट भी है, इनकी संख्या बढ़कर 50 से ज्यादा हो गई है। सिमरोल, सांवेर रोड, धार रोड, खंडवा रोड, नेमावर रोड, मांगलिया तरफ जो टाउनशिप, नई बसाहट हुई है, वहां पर इनकी मौजूदगी इसका प्रमाण है।
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महू, मानपुर और चोरल तरफ लगातार खत्म हो रहे जंगल
रिटायर एसडीओ एके खर्राटे के मुताबिक महू, मानपुर और चोरल तरफ रेल लाइन, पानी की लाइन, बिजली की लाइन, अंचल में जाने के लिए रोड, फोरलेन प्रोजेक्ट के नाम पर एक लाख से अधिक पेड़ कट चुके हैं। नर्मदा-शिप्रा, नर्मदा-कालीसिंध जैसे प्रोजेक्ट के लिए भी 20 हजार से ज्यादा पेड़ काटे गए थे। इंदिरा सागर परियोजना की ऊंचाई बढ़ाने से भी जंगलों में पानी घुस गया। इस वजह से वन्य जीवों को बड़वाह तरफ पलायन करना पड़ा। इस कारण भी चोरल, महू, मानपुर में आए दिन तेंदुए गांव में घुस रहे हैं।
तीन साल पहले पल्हर नगर के एक मकान में घुसा था तेंदुआ
- दिसंबर में रणभंवर स्थित एक फॉर्म हाउस से दो तेंदुए पकड़े।
- नवंबर में आईआईटी कैंपस में तेंदुआ दिखा था। सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था। पहले भी दो तेंदुए यहां आए थे।
- 9 मार्च 2018 को पल्हर नगर में घुसा।
- 10 मार्च 2019 को धार रोड पर एक गांव से तेंदुआ पकड़ा था।
- 2019 में आरआर कैट परिसर से तेंदुआ पकड़ा गया था।
- 2018 में ही सांवेर रोड स्थित एक फैक्टरी में तेंदुआ घुस गया था।
रेस्क्यू तेंदुए को डिहाइड्रेशन था, आज उसे जंगल में छोड़ सकते हैं
डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक लिंबोदी से रेस्क्यू किए गए तेंदुए को डिहाइड्रेशन की समस्या थी। शुक्रवार को उसे पानी के साथ इलेक्ट्रोल भी दिया था। उसने भोजन भी किया। शनिवार तड़के उसे जंगल में छोड़ा जा सकता है।
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