केंद्र सरकार यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के निजीकरण की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रही है। हालांकि अभी इस प्रस्ताव को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर ( डिसइनवेस्टमेंट) की मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन इस ग्रुप से प्रस्ताव पास होने के बाद सरकार इस दिशा में एक कदम और बढ़ा देगी।
उच्च पदस्थ सूत्रों की माने सरकार ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के निजीकरण की तरफ गंभीरता से कदम बढ़ाना शुरू कर दिया हैं और औपचारिक मंजूरी मिलते ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो सरकार पहले इंश्योरेंस कंपनी को निजी हाथों में सौंपने का फैसला करेगी फिर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का भी निजीकरण किया जाएगा। बता दें कि इन कंपनियों के निजीकरण को आसान बनाने के लिए एक्ट में संशोधन वाले प्रावधानों को हाल ही में द जनरल इंश्योरेंस बिजनेस नेशनलाइजेशन एक्ट में संसद से पारित करवाया गया है।
इससे पहले नीति आयोग भी बैंकों, इन्श्योरेंस कम्पनियों के निजीकरण के पक्ष में अपनी राय दे चुका है। हाल में किये बदलाव में सबसे बड़ा परिवर्तन जनरल इंश्योरेंस कंपनी में सरकारी भागीदारी को 51 प्रतिशत से कम करने व प्रबंधन को निजी क्षेत्र को सौंपने की मंजूरी है।
गौरतलब है कि आईआरडीएआई ने भी अपने आंकड़ों में बताया है कि सरकार द्वारा नियंत्रित इंश्योरेंस कम्पनियों की हिस्सेदारी लगातार घट रही है। इन्हीं कारणों से सरकार इनके निजीकरण को गम्भीरता से ले रही है। हालांकि कर्मचारियों की यूनियन निजीकरण के विरोध में लामबंद हैं।

