National News – कोर्ट का अहम् फैसला : अदालत की अवमानना पर नहीं बचेंगे नेता, SC के निर्देश पर EC ने उठाया यह कदम

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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National News. आपराधिक इतिहास वाले नेताओं पर सर्वोच्च न्यायलय (Supreme Court) की तीखी टिप्पणी के बाद निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने सभी राजनीतिक दलों को एक पत्र लिख ऐसा कोष बनाने को कहा है, जहां अदालत की अवमानना से जुड़े मामलों पर लगने वाले जुर्माने की धनराशि को जमा किया जा सके. जाहिर है यह आर्थिक दंड या जुर्माना सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को नहीं मामने वालों पर वसूला जाता है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले राजनीतिक दलों को निर्देश दिया था कि वह अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में सूचना प्रकाशित करें.

दलों को 26 अगस्त को भेजा गया पत्र
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर 26 अगस्त को भेजे गए पत्र में निर्वाचन आयोग ने कहा है कि उसने एक कोष का निर्माण किया है, जिसमें अदालत की अवमानना के लिए जुर्माना जमा किया जा सकता है. पत्र के मुताबिक जुर्माना भरने के लिए बैंक खाते का ब्यौरा भी दिया जाएगा. इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों से जुड़ी सारी जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए सभी संभव प्रयास करने के निर्देश दिए थे. इससे सभी मतदाताओं के अपने प्रत्याशी के बारे में जानकारी प्राप्त करने के अधिकार का पालन हो सकेगा. भारतीय राजनीति में इस कदम को प्रत्याशियों के बारे में और पारदर्शिता बरतने की एक अहम कड़ी माना जा रहा है.

जुर्माना भरने के लिए बैंक अकाउंट का नंबर भी देना होगा

आयोग ने चार सप्ताह में यह निधि बनाने का निर्देश राजनीतिक दलों के प्रमुखों को दिया है. उस बैंक अकाउंट का नंबर मांगा गया है जिसमें अर्थदंड की राशि जमा कराई जाएगी. निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को एक ऐसा प्रकोष्ठ बनाने का भी निर्देश दिया है जो कोर्ट के आदेशों-निर्देशों को तत्परता से लागू कराने का कार्य करे. चुनाव आयोग ने इस आशय का पत्र शुक्रवार को सभी दलों के पास भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा है कि जो भी राजनीतिक दल आपराधिक इतिहास वाले प्रत्याशियों की सूचनाएं सार्वजनिक नहीं करता है, उसकी जानकारी शीर्ष न्यायालय को दी जाए. इसके बाद उस दल पर न्यायालय की अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा. यही नहीं, शीर्ष न्यायालय ने चुनाव आयोग को ऐसा मोबाइल एप भी तैयार करने का निर्देश दिया है जिसके जरिये प्रत्याशियों के आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके. ये निर्देश जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवाई की पीठ ने दिए थे.

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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।