Indore Vikas Pradhikaran News IDA Indore .विभिन्न योजनाओं से बकाया वसूली के लिए सालाना विकास प्राधिकरण हजारों नोटिस जारी करता है, लेकिन उसे फिर भी भुगतान बकाया नहीं मिल पाता है। इतने बड़े पैमाने पर नोटिस जारी होने के बावजूद महत्व नहीं मिलने से अब विधिक सलाह लेकर बोर्ड में नया प्रस्ताव वसूली को लेकर रखा जा रहा है।
प्रतिवर्ष तकरीबन 8 करोड़ रुपए से अधिक लीज की बकाया वसूली के लिए प्राधिकरण अपने स्तर पर सभी को वसूली शाखा के माध्यम से एक तरह से नोटिस जारी करता हैं परंतु वसूली नहीं होती है। संपदा शाखा के अंतर्गत वसूली शाखा में अशोक जैन लिपिक पदस्थ है जो वसूली का काम करते हैं जबकि अन्य कोई कर्मचारी अधिकारियों का साथ भी बराबर नहीं मिल पाता है। वहीं दूसरी और वसूली को लेकर पिछले दिनों अधिकारियों की एक बैठक में भी चर्चा हुई और उस अनुसार उक्त वसूली योजना के तहत विधिक सलाह के बाद बोर्ड बैठक में भी रखा जा रहा है।
मध्यप्रदेश भू राजस्व संहिता 1960 की धारा 146 147 के तहत वसूली का अधिकार संपदा व राजस्व अधिकारी को है लेकिन इसमें अभी तक पूरी तरह से मदद नहीं मिलने से वसूली अभियान नहीं चल रहा है। बकाया लीज की वसूली के लिए तहसीलदार का अधिकार संपदा व राजस्व शाखा को होना चाहिए। इसमें विधिक राय ली जा रही है ताकि मांग पत्र पहले संबंधित बकायेदारों को जारी किया जा सके। इसके बाद यदि किस्त का भुगतान नहीं करते हैं तो उसकी चल अचल संपत्ति की कुर्की करके वसूली विकास प्राधिकरण कर सकता है। हालांकि संपदा व राजस्व शाखा को इस तरह का अधिकार होना चाहिए परंतु पूरी तरह से नोटिफिकेशन नहीं होने से अब फिर से विधिक राय लेकर इस तरह का एक प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जा सकता है। विकास प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं में बड़े पैमाने पर बकायादार हैं जो अपने बकाया राशि का भुगतान विकास प्राधिकरण को नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि सालाना लीज के 8 करोड़ रुपए से अधिक के भले ही नोटिस जारी होते हैं लेकिन वसूली नहीं हो पाती है।
विकास प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय का कहना है कि सालाना 8 करोड़ से अधिक की बकाया राशि रहती है जिसमें संबंधित बकायेदारों को पत्र भी भेजे जाते हैं लेकिन बराबर किस्त जमा नहीं होती है। जब्ती कुर्की के अधिकार के लिए विधिक राय ली जा रही है। इसके बाद ही कोई प्रस्ताव बनाकर बोर्ड बैठक में रख सकते हैं।