दरअसल एमपीपीएससी राज्य सेवा मुख्य परीक्षा-2019 देने वाले 10,000 से अधिक उम्मीदवारों और राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2020 में उपस्थित हुए 3.4 लाख उम्मीदवारों ने ओबीसी के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण के पुराने नियम के साथ परिणाम जारी करने और चयन प्रक्रिया को पूरा करने की मांग की है।
उम्मीदवारों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपीपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखा है। चूंकि ओबीसी आरक्षण का मामला विचाराधीन है, मुख्य परीक्षाओं के परिणाम आठ महीने से अटके हुए हैं और पिछले चार महीनों से प्रारंभिक परीक्षाओं का परिणाम घोषित नहीं किया जा सका है।
परीक्षा में शामिल हुए साढ़े तीन लाख से अधिक उम्मीदवार परिणाम घोषित होने का इंतजार करते-करते थक चुके हैं। इसके साथ ही मप्र में करीब छह लाख अन्य उम्मीदवार भी आरक्षण विवाद से जूझ रहे हैं। ये वे उम्मीदवार हैं जो एमपीपीएससी की विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
आरक्षण के मुद्दे पर अंतिम आदेश लंबित होने के कारण राज्य सेवा परीक्षा-2021 की घोषणा भी नहीं हो सकी है, जबकि साल खत्म होने में बमुश्किल डेढ़ महीना बचा है। यदि वर्ष के अंत से पहले अधिसूचना जारी नहीं की जाती है, तो वर्ष 2021 राज्य सेवा परीक्षा-2021 के लिए शून्य वर्ष बन जाएगा। ऐसे में कई उम्मीदवार जिनके पास अपनी उम्र के कारण पीएससी परीक्षा देने का आखिरी मौका है, अपात्र हो जाएंगे।
बता दें कि मप्र सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था। आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं चल रही हैं। कोर्ट ने आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने OBC आदेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इसने स्पष्ट किया था कि सरकार इस मामले में अंतिम फैसला आने तक ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण जारी रख सकती है। याचिका पर फैसला आने तक सरकार 14 फीसदी आरक्षण के साथ चयन प्रक्रिया पूरी कर सकती है। उम्मीदवारों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने का समय भी मांगा है।