National News – सुप्रीम कोर्ट ने कहा: आरक्षण, योग्यता के विपरीत नहीं, प्रतियोगी परीक्षाएं आर्थिक और सामाजिक लाभ को नहीं दर्शाती

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

National News. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है बल्कि इसके वितरण प्रभाव को आगे बढ़ाता है।

शीर्ष अदालत ने केंद्र को मेडिकल पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) सीटों पर ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की अनुमति देते हुए यह बात कही है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि न्यायिक औचित्य हमें कोटा पर रोक लगाने की अनुमति नहीं देगा, जब काउंसिलिंग लंबित हो, खासकर उस मामले में जहां संवैधानिक व्याख्या शामिल हो।
पीठ ने कहा कि न्यायिक हस्तक्षेप से इस साल प्रवेश प्रक्रिया में देरी होती, पात्रता योग्यता में किसी भी बदलाव से प्रवेश प्रक्रिया में देरी होती और क्रॉस मुकदमेबाजी भी होती।
हम अभी भी महामारी के बीच में हैं और इस तरह देश को डॉक्टरों की जरूरत है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने अपने फैसले का विस्तृत कारण बताया है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाएं आर्थिक-सामाजिक लाभ को नहीं दर्शाती हैं, जो कुछ वर्गों को मिला है। इसलिए योग्यता को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि प्रदीप जैन के फैसले को इस तरह से नहीं पढ़ा जा सकता कि अखिल भारतीय कोटा सीटों में कोई आरक्षण नहीं हो सकता।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यह तर्क नहीं दिया जा सकता है कि परीक्षाओं की तारीखें तय होने के बाद नियमों में बदलाव किया गया। अदालत ने कहा कि एआईक्यू सीटों में आरक्षण देने से पहले केंद्र को इस अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी और इस तरह उनका फैसला सही था।

मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत
ईडब्ल्यूएस कोटे के संबंध में पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की दलील सिर्फ एआईक्यू में हिस्सेदारी तक सीमित नहीं थी बल्कि मानदंड पर भी थी, इसलिए इस मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है।

लिहाजा अदालत ने मामले को मार्च के तीसरे सप्ताह में विचार करने का निर्णय लिया है।
नील ऑरेलियो नून्स के नेतृत्व में याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने पीजी पाठ्यक्रमों में मौजूदा शैक्षणिक सत्र से नीट-अखिल भारतीय कोटा में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लागू करने के लिए केंद्र की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी है।

स्नातक पाठ्यक्रमों में 15 फीसदी सीटें और पीजी पाठ्यक्रमों में 50 फीसदी सीटें अखिल भारतीय कोटे से भरी जाती हैं।

सात जनवरी को शीर्ष अदालत ने 27 फीसदी ओबीसी कोटे की वैधता को बरकरार रखा था लेकिन कहा कि ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए निर्धारित आठ लाख रुपए प्रति वर्ष की आय मानदंड लंबित याचिकाओं के अंतिम परिणाम के अधीन होगा।
Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।