National News. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सात अक्तूबर 2020 के शाहीन बाग मामले में फैसले पर स्पष्टीकरण मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया। उस फैसले में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ आयोजित शाहीन बाग विरोध-प्रदर्शन के संबंध में घोषित किया गया था कि सार्वजनिक सड़कों को अनिश्चित काल के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सोमवार को यह कहते हुए आवेदन पर विचार करने से इनकार कर दिया कि फैसला अपने आप ही सब कुछ बोलता है। किसी स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है। इससे पहले सुनवाई के दौरान एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मंसूर अली ने इस आधार पर सुनवाई को स्थगित करने की मांग की कि बहस करने वाले वकील अस्वस्थ हैं।
पीठ ने कहा कि निर्णय पहले ही पारित किया जा चुका है और दायर आवेदन विचारणीय नहीं है। पीठ ने कहा, ‘मुद्दा खत्म हो गया है। इसे क्यों सूचीबद्ध किया गया है? क्या स्पष्टीकरण मांगा गया है, हमें समझ में नहीं आ रहा है। किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। पूरा मुद्दा खत्म हो गया है। निर्णय को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं किया जा सकता। निर्णय स्वयं सब कुछ बोलता है।’ यह कहते हुए पीठ ने आवेदन को खारिज कर दिया।
मालूम हो कि वकील अमित साहनी की याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि सार्वजनिक सड़कों और स्थानों पर अनिश्चितकाल तक विरोध प्रदर्शन के लिए कब्जा नहीं किया जा सकता है। इससे लोगों को असुविधा होती है और इस तरह के प्रदर्शनों को निर्धारित स्थान पर ही आयोजित किया जाना चाहिए।