Health News. खरगोन के रहने वाली महिला के जबड़ों में सूजन से ब्लैक फंगस की शुरुआत हुई थी। इसके बाद निजी अस्पताल में ऑपरेशन किया गया। गौरतलब है कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान कोविड संक्रमित मरीज तेजी से ब्लैक फंगस की चपेट में आए थे। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं किस तरह सावधानी बरतने की जरूरत होती है?
डॉ रवि दोसी, कोविड स्पेशलिस्ट, इंदौर ने बताया कि यह पहला मामला है। इसलिए इसे महामारी के रूप में नहीं देखे। इस तरह के एक-दो केस पहले भी आते थे। सावधानी बरते कि, ‘अगर आपको तीन-चार दिन बाद भी बुखार ठीक नहीं हो रहा है, आंखों से देखने में समस्या हो रही है, दांत दुख रहे हैं, या सुनने में परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
गौरतलब है कि कोविड-19 की सेकंड लहर के दौरान हजारों की तादाद में लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आए थे। इस दौरान समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीजों की जान तक चली गई थी। दूसरी लहर के दौरान मरीजों को कोविड से ठीक होने के लिए स्टेरॉयड खूब दिए गए थे जो ब्लैक फंगस का सबसे बड़ा कारण था।
बता दें कि ओमिक्रॉन का खतरा अभी टला नहीं है। इसके लक्षण जरूर माइल्ड नजर आ रहे हैं लेकिन यह खतरनाक भी साबित हो सकता है। इसके लक्षण मुख्य रूप से जो नजर आ रहे हैं वह है सर्दी-खांसी होना और बुखार आना। हालांकि दवा लेने पर लोग जल्दी रिकवर भी हो रहे हैं। ऐसा इसलिए जिन लोगों को कोविड वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं उन्हें रिकवर होने में मदद मिल रही है। लेकिन उन्हें अभी तक कोविड की दोनों डोज नहीं लगी है वे इससे रिकवर नहीं हो पाया है उन्हें अधिक घातक साबित हो रहा है। इंदौर में भी ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद साइड इफेक्ट के रूप में ब्लैक फंगस हुआ है।