सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवारों को अतिरिक्त प्रयास का मौका देने के पक्ष में नहीं – केंद्र का सुप्रीम कोर्ट को जवाब

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sadbhawnapaati
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Education News. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश करते हुए स्पष्ट कर दिया कि वह सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवारों को अतिरिक्त प्रयास का मौका देने के पक्ष में नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने उन उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त प्रयास की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया है जो कोविड-19 संक्रमण के कारण सिविल सेवा मेन्स परीक्षा में शामिल नहीं हो सके थे।
केंद्र ने दलील दी कि इस याचिका को स्वीकार किया गया तो पूरे देश में आयोजित अन्य परीक्षाओं के लिए इसी तरह की मांग सामने आ सकती है। इसलिए, ऐसा कर पाना संभव नहीं है।

कोरोना संक्रमण के कारण यूपीएससी की सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2021 को देने से चूके तीन उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त मौका देने के लिए मांग याचिका दायर की थी।
याचिका पर जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एएस ओका की पीठ सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता तीन उम्मीदवारों ने यूपीएससी 2021 की प्रारंभिक परीक्षा को क्वालीफाई किया था, लेकिन कोविड-19 महामारी से संक्रमित होने के बाद वे मुख्य परीक्षा के सभी पेपर नहीं दे सके।

इसलिए, वे परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए एक अतिरिक्त प्रयास की मांग कर रहे हैं। 

मामले में केंद्र ने कहा, यह अन्य उम्मीदवारों की संभावनाओं को भी प्रभावित करेगा जो मौजूदा प्रावधानों के अनुसार पात्र हैं क्योंकि इससे उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि होगी।
इससे पूरे देश में आयोजित अन्य परीक्षाओं के उम्मीदवारों द्वारा भी इसी तरह की मांग की जाएगी।
इसने कहा कि कुछ श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए छूट के साथ सिविल सेवा परीक्षा के लिए मौजूदा आयु मानदंड 21 से 32 वर्ष है।
केंद्र ने कहा कि मौजूदा नियम उम्मीदवारों को उचित अवसर प्रदान करते हैं, भले ही कुछ अत्यावश्यकताओं के कारण एक प्रयास खो गया हो।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में, यूपीएससी ने अतिरिक्त प्रयास की मांग वाली याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इसमें कोई तर्क नहीं है।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने कहा है कि यदि आयोग पुन: परीक्षा का प्रावधान करता है, तो इसका अन्य चल रही परीक्षाओं के साथ-साथ अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
यूपीएससी ने दलील दी कि इस तरह के मांगे मानने से स्थिति बिगड़ जाएगी, ऐसे तो कोई भी परीक्षा समय पर पूरी नहीं हो सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने यूपीएससी की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि वे कोविड -19 महामारी के कारण अपने अंतिम प्रयास में परीक्षा देने से चूक गए हैं। इसलिए, वे अतिरिक्त प्रयास के हकदार हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि 2014 में यूपीएससी ने उन उम्मीदवारों के लिए अतिरिक्त प्रयास की व्यवस्था की थी, जो सिविल सेवा मुख्य परीक्षा, 2013 के पैटर्न और पाठ्यक्रम में अचानक बदलाव करने के खिलाफ थे।
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