जबलपुर. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एस आर मोहंती को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. उनके खिलाफ 719 करोड़ के उद्योग घोटाले की जांच जारी रहेगी.
मामला दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल का है. उस वक्त मोहंती MP-SIDC के एमडी थे.
शिवराज सरकार ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी जो कमलनाथ सरकार के दौरान बंद कर दी गयी थी. कैट ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा रखी थी इसलिए इस घोटाले की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही थी.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एस आर मोहंती की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. 719 करोड़ के उद्योग घोटाला केस में उनके खिलाफ जांच फिर शुरू होगी. बीते दिनों कैट यानि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी.
इससे उद्योग घोटाले में जारी अनुशासनात्मक कार्रवाई रोक दी गई थी. लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस शील नागू और जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डिवीजन बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण कैट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें मोहंती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी
दिग्विजय सरकार में हुआ था घोटाला
दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल में एसआईडीसी में 719 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है. इस मामले में EOW 19 विभिन्न कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर चुकी है.
एस आर मोहंती उस वक्त MP-SIDC के एमडी थे. आरोप है कि उनके रहते 719 करोड़ रुपए का कर्ज बिना गारंटी के बांटा गया. तभी से यानि 2004 से इस मामले की जांच चल रही है
कमलनाथ सरकार ने बंद की थी फाइल
राज्य सरकार की ओर से याचिका दायर कर कैट के आदेश को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि पूर्व मुख्य सचिव एस आर मोहंती के खिलाफ 2 जनवरी 2007 को चार्जशीट के जरिए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई थी. इस पर जांच जारी थी.
सरकार की ओर से बताया गया कि इस बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस की सरकार ने 28 दिसंबर 2018 को एक आदेश जारी कर उस जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी.
उसके बाद वापस सत्ता में आई भाजपा सरकार ने 4 जनवरी 2021 को कांग्रेस सरकार के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिससे एक बार फिर मोहंती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया.
मोहंती ने दी थी चुनौती
मोहंती ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की जबलपुर बेंच में चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई करते हुए 8 जुलाई 2021 को कैट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया. कैट याने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के इसी आदेश को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उस पर सुनवाई के बाद कैट के आदेश को निरस्त कर दिया गया.