नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के मैनेजिंग डायरेक्टर सतीश अग्निहोत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना 2027 में सूरत से बिलमौरा में 48 किलोमीटर लंबे खंड को पूरा करने के लिए तैयार है।
जिसका एक साल पहले परीक्षण किया जा चुका है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण परियोजना अटकी हुई है।
सतीश अग्निहोत्री ने बताया कि ई-5 श्रृंखला की हिताची और कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज द्वारा निर्मित जापानी शिंकासेन हाई-स्पीड ट्रेन का प्रकार हैं।
वहीं उन्होंने ये भी बताया कि जापान ट्रेनों को भारत को सौंपने से पहले वजन को लेकर भी काम कर रहा है। वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ये ट्रेनें भारतीयों वजन ढोने में सक्षम हों, क्योंकि जापानी हल्के होते हैं।
परियोजना के बारे में बात करते हुए भारत में जापानी राजदूत सतोशी सुजुकी ने कहा कि जापान नवीनतम तकनीक के प्रयोग से हुई प्रगति से प्रभावित है। हम दूसरी श्रेणी की ट्रेन का निर्यात नहीं कर रहे हैं। हम ठीक ई-5 श्रृंखला की बुलेट ट्रेन को ही भारत भेजेंगे। उन्होंने बताया कि इस सीरीज की ट्रेन कई वर्षों से परिचालन में है। उन्होंने कहा कि जब भारत के पास अपनी बुलेट ट्रेन होगी तो हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें नवीनतम तकनीक मिले। उन्होंने बताया कि ई-5 बुलेट ट्रेन की तकनीक भूकंपरोधी है।
गौरतलब है कि गुजरात और दादरा और नगर हवेली में बुलेट ट्रेन के पूरे मार्ग निर्माण के लिए 100 प्रतिशत सिविल ठेके, यानी 352 किलोमीटर के ठेके भारतीय ठेकेदारों को दिए गए हैं। गुजरात में 237 किलोमीटर के लिए ट्रैक का काम पहले ही दिया जा चुका है और शेष 115 किलोमीटर का काम जल्द ही दिया जाएगा।