प्रदर्शनी में बिखरी कुदरत की छटा – सुबंधु दुबे की छायाचित्र प्रदर्शनी को कलाप्रेमियों ने ख़ूब सराहा 

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sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
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इन्दौर। पर्यावरण प्रेम को ज़ाहिर करती हुई प्रोफेसर सुबंधु दुबे की छायाचित्र प्रदर्शनी को हज़ारों कलाप्रेमियों ने ख़ूब सराहा। प्रीतमलाल दुआ आर्ट गैलरी में आबो हवा की बेहतरी की फिक्र करती ऐसी प्रदर्शनी मुद्दतों बाद देखने को मिली, जिसमें कला की खूबसूरती देखते बनती थी।
जाने-माने छायाकार प्रोफेसर सुबंधु दुबे  की यह तीसरी प्रदर्शनी थी। इस प्रदर्शनी में उनके पिछले 5 से 7 सालों के संग्रहण को पेश किया गया। ख़ास बात यह कि इस प्रदर्शनी में सभी श्रेणी के चित्र प्रदर्शित किये गए।
तीन दिनी नुमाइश में लैंडस्केप्स, रंग बिरंगे फूल, खूबसूरत परिंदो की उडा़न, हिरन, शेर, बारासिंगा, नदी पहाड़,भगोरिया, ग्रामीण परिवेश जंगल,ऐतिहासिक महल व किले के छायाचित्र की प्रदर्शनी में कुदरत की छटा बिखरी नज़र आई।
जिससे कलाप्रेमी के साथ पर्यावरण प्रेमी भी बेहद उत्साहित नज़र आये। इन चित्रों की खासियत यह है की इनकी वास्तविकता में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है और इन्हें कैनवस पर प्रिंट किया गया है और इसमें जो कलर्स इस्तेमाल किए गए हैं वह सभी इकोफ्रेंडली हैं। यह आधुनिक तकनीक है, सभी चित्रों में चित्रकार का तजुर्बा नजर आता है।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।