लेखक-सिद्धार्थ शंकर
चीन ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ग्लोबल आतंकी नामित करने के प्रस्ताव को रोक दिया है। मक्की को आतंकी घोषित करने के लिए 1267 इस्लामिक स्टेट और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रस्ताव रखा गया था। चीन ने इस प्रस्ताव को अंतिम क्षण में बाधित कर दिया। मक्की, लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद का रिश्तेदार है। मक्की का तालिबान नेता मुल्ला उमर और अल कायदा के अयमान अल-जवाहिरी से बेहद करीबी संबंध है। चीन ने इससे पहले भी भारत और अन्य देशों द्वारा पाकिस्तानी आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने की कोशिशों पर अड़ंगा लगाया है। भारत ने मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र में एक बड़ी राजनयिक जीत हासिल की थी जब पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया था। चीन ने मसूद अजहर को भी वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई थी। भारत समेत पूरी दुनिया को समझना होगा कि चीन आतंकी देश को पालने वाले पाकिस्तान के साथ आतंकियों को भी बचा रहा है। आतंकियों के खात्मा के लिए चीन के इस कारनामे के खिलाफ पूरे विश्व को एकजुट होना होगा। हालांकि, आतंकियों को बचाने के पीछे चीन की कोई रणनीति नहीं है। वह आतंकियों से डरता है। उसे डर है कि कहीं आतंकी सीपीईसी प्रोजेक्ट पर हमला न कर दें। इसीलिए वह पाकिस्तान और पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के बचाव में खड़ा हो जाता है। चीन का सीपीईसी प्रोजेक्ट गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से ही नहीं जाता है बल्कि यह प्रोजेक्ट पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के मानसेहरा जिले के उस इलाके से भी गुजरता है जो खैबर पख्तूनख्वा में पड़ता है। चीन को इस बात का डर सताता है कि अगर उसने मसूद अजहर या मक्की पर वैश्विक आतंकी घोषित होने पर रोक नहीं लगाई तो कहीं जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी उसके सीपीईसी प्रोजेक्ट में काम कर रहे चीनी नागरिकों पर हमला न कर दें। वैसे भी चीन की फितरत रही है कि अपना काम जहां बनता है वह सिर्फ और सिर्फ वहीं काम करता है और यही वजह है कि पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में चीन के प्रोजेक्ट जो पाकिस्तान में सीपीईसी के जरिए जाते हैं उसको बचाने के लिए वह किसी हद तक यानी आतंकी को भी मदद करने में जुटा हुआ है। चीन सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पाक अधिकृत कश्मीर में कई जगहों पर पावर प्रोजेक्ट भी बना रहा है। कई ऐसे पावर प्रोजेक्ट उस इलाके से गुजर रहे हैं जहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आतंक का गढ़ बना रखा है। चीन इस बात से डरता है कि कहीं पाकिस्तान को अगर उसने खुश नहीं किया तो उसकी पनाह में पल रहे आतंकी मसूद अजहर और लश्कर-ए-तैयबा उसके प्रोजेक्ट पर हमला न कर दें जिससे उसे बड़ा नुकसान हो सकता है। चीन को इस बात का भी डर लगता है कि उसके उंगीहार प्रांत में जिस तरीके से लश्कर-ए-तैयबा से समर्थित आतंकी वहां पर हमला करते हैं, उस बात से भी वह डरता है। चीन यह चाहता है कि पाकिस्तान के जरिए वह इस्लामिक वर्ल्ड में अपनी पहुंच बना ले और आतंकवादियों को जिस तरीके से रेडिकलाइज करके चीन के उंगीहार प्रांत में लश्कर और दूसरे आतंकी संगठन भेज रहे हैं उसको भी वह रोक सके। यही वजह है कि वह पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाक सेना को किसी तरीके से नाखुश नहीं करना चाहता है।