Bollywood News – अगर मैं आपको पसंद नहीं तो मुझे मत देखिए:आलिया भट्ट

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sadbhawnapaati
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फिल्‍म इंडस्‍ट्री में नेपोटिज्‍म पर  एक्ट्रेस ने खुलकर रखे विचार
मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने एक ताजा इंटरव्यू में इस पूरे मामले पर अपनी बात रखी है। आलिया का कहना है कि नेपोटिज्‍म  से काम भले ही मिल जाए लेकिन सफलता के लिए मेहनत करनी पड़ती है और दर्शक ही सफलता का असली पैमाना हैं। एक्ट्रेस ने कहा कि मैं बार-बार बोलकर खुद को सही साबित नहीं कर सकती।
अगर आपको मैं पसंद नहीं आती तो मुझे मत देखिए। आपको बता दें कि इससे पहले करीना कपूर खान भी अपने एक इंटरव्यू में यही बात कह चुकी हैं, ‘अगर आप हमें नहीं देखना चाहते तो मत देखिए।’आलिया भट्ट से पूछा गया कि उन्हें पहली फिल्‍म के बाद से ही नेपोटिज्‍म के लिए टारगेट किया गया।
एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने कहा, ‘इससे नेपोटिज्‍म डील करने के आपके पास 2 तरीके हैं। पहला कि हां, ठीक है मैं अपने काम से लोगों को प्रूव करूंगी, लोग तो कुछ न कुछ कहते ही हैं और ऐसा ही कुछ। जो संयमित व्‍यक्ति होगा वो ऐसे रिएक्ट करेगा और दूसरा व्यक्ति कहेगा कि ये सब क्या बकवास है, ये क्या तरीका है, बिना किसी कारण से लोग मेरे पीछे पड़े हैं।’
आलिया  ने आगे कहा, ‘देखिए आपको समझना पड़ेगा कि नेपोटिज्‍म  हर जगह मौजूद है, हर प्रोफेशन में पर हम फिल्‍म इंडस्‍ट्री पर ही ज्यादा फोकस कर रहे हैं। मेरी समझ में नेपोटिज्‍म वो है जब आप अपनी पोजीशन का इस्तेमाल कर किसी को काम दिलाते हैं।’एक्‍ट्रेस ने कहा, ‘हां मैं मानती हूं कि मैं एक ऐसे परिवार से आती हूं जो इंडस्‍ट्री से जुड़ा है और मुझे इससे प्रिवलेज मिला है।
अगर कहीं मेरा फोटोग्राफ होगा तो वह किसी दूसरे-तीसरे व्यक्ति से पहले मेरा फोटो देखेंगे। लेकिन ये फोटो मुझे काम नहीं दिला सकता।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर मैं काम खराब करती हूं तो उससे प्रोड्यूसर को नुकसान होगा। तो जो लोग सोचते हैं, उसके उलट, हम फिल्‍म को हिट कराने के लिए पैसे नहीं दे सकते, मैं अच्छा काम करने के लिए पे नहीं कर सकती, आप किसी भी चीज को चलाने के लिए कुछ नहीं कर सकते। आप बस अच्‍छा काम कर सकते हैं और सिर्फ उसी आधार पर चीजें काम करती हैं।’आलिया ने आगे कहा, ‘दर्शक ही सफलता का असली पैमाना हैं।
 अगर दर्शकों को यह विश्वास होगा कि आप सफलता के लायक हैं, तभी वो आपको सफल बनाएंगे। मैं उनसे जबरदस्‍ती सफलता नहीं मांग सकती या छीन नहीं सकती। तो मैं आज जहां हूं वहां पहुंचने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है।’एक्‍ट्रेस ने आगे कहा, ‘मेरा विश्वास है कि इस बहस को मैं बस एक तरीके से रोक सकती हूं और वह है मेरा काम। इसलिए मैं प्रतिक्रिया नहीं देती और बुरा भी नहीं महसूस करती। हालांकि मुझे बुरा लगता है, पर बुरा लगना, लोगों के इस प्यार और इज्जत के बदले बहुत छोटी कीमत है। मैं चुप रहती हूं, घर जाती हूं और अपना काम करती हूं। मैंने गंगूबाई जैसी फिल्‍म दी है। तो अब कौन हंस रहा है। कम से कम तब तक जब तक मैं फ्लॉप फिल्‍म न दूं।
आखिर में आप अपने अंदर की एनर्जी का इस्तेमाल करें और अपना काम करें। मैं बार-बार बोलकर खुद को सही साबित नहीं कर सकती। और अगर आपको मैं पसंद नहीं आती तो मुझे मत देखिए। मैं उसमें कुछ नहीं कर सकती। ये एक ऐसी चीज है, जिसके लिए मैं कुछ नहीं कर सकती। बता दें कि  पिछले कुछ सालों में फिल्‍म इंडस्‍ट्री में नेपोटिज्‍म पर बहस लगातार चलती रही है। आलिया भट्ट, वरुण धवन, अनन्या पांडे, आदित्य रॉय कपूर, जाह्नवी कपूर, सारा अली खान जैसे सितारे हमेशा से ही नेपोटिज्‍म की बहस के सेंटर में रहे हैं।
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"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।