सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों से जुड़े सभी केस किए बंद, कहा- अब सुनवाई का कोई अर्थ नहीं

By
sadbhawnapaati
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार...
3 Min Read

अहमदाबाद | सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बाद दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया है | इन सभी याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से मामले की अपनी निगरानी में जांच करवाने की मांग की गई थी |
 सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था| एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर दंगे से जुड़े लगभग सभी मामलों पर निचली अदालत का फैसला आ चुका है |
आज याचिकाकर्ताओं ने माना कि अब उच्चतम न्यायालय में सुनवाई लंबित रखना ज़रूरी नहीं है | आज यानी मंगलनार को लंबे अरसे के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लगा | चीफ जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भाट और जमशेद पारडीवाला की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या अब सुनवाई की जरूरत है?
इस पर एसआईटी के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि दंगों के 9 केस में से 8 में निचली अदालत फैसला दे चुकी है और उसमें कई लोगों को सज़ा मिली है | अब उनकी अपील हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित है| वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायधीशों को बताया कि सिर्फ नरोडा गांव से जुड़े मामले में निचली अदालत का फैसला आना बाकी है |
याचिकाकर्ता पक्ष के वकीलों अपर्णा भट्ट, एजाज मक़बूल और अमित शर्मा ने भी इससे सहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अब पुरानी याचिकाओं को लंबित रखने की जरूरत नहीं है | वकीलों से थोड़ी देर बात के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 20 साल से लंबित सभी याचिकाओं को बंद कर दिया |
साल 2002 से 2004 के बीच दाखिल कुल 11 याचिकाओं का निपटारा किया गया है| इनमें सबसे प्रमुख थी 2003 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की तरफ से दाखिल याचिका |
इसके अलावा सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस, फरजाना बानू, इमरान मोहम्मद, यूसुफ खान पठान, फादर सेड्रिक प्रकाश और उमेद सिंह गुलिया जैसे याचिकाकर्ताओं की भी याचिका पर सुनवाई आज औपचारिक रूप से बंद कर दी गई |
Share This Article
Follow:
"दैनिक सदभावना पाती" (Dainik Sadbhawna Paati) (भारत सरकार के समाचार पत्रों के पंजीयक – RNI में पंजीकृत, Reg. No. 2013/54381) "दैनिक सदभावना पाती" सिर्फ एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि समाज की आवाज है। वर्ष 2013 से हम सत्य, निष्पक्षता और निर्भीक पत्रकारिता के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण खबरें आप तक पहुंचा रहे हैं। हम क्यों अलग हैं? बिना किसी दबाव या पूर्वाग्रह के, हम सत्य की खोज करके शासन-प्रशासन में व्याप्त गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार को उजागर करते है, हर वर्ग की समस्याओं को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना, समाज में जागरूकता और सदभावना को बढ़ावा देना हमारा ध्येय है। हम "प्राणियों में सदभावना हो" के सिद्धांत पर चलते हुए, समाज में सच्चाई और जागरूकता का प्रकाश फैलाने के लिए संकल्पित हैं।